लॉकडाउन में छूट गई थी नौकरी, जज्बे से बनाई अलग पहचान

लॉकडाउन में छूट गई थी नौकरी, जज्बे से बनाई अलग पहचान

मोतिहारी: किसी ने सच ही कहा है कि “कामयाबी का तो जुनून होना चाहिए, फिर मुश्किलों की क्या औकात” इन पंक्तियों को जिला के ढाका की रहने वाली जैनब बेगम ने अपने जज्बे से सही साबित कर दिया है.

कोरोना संक्रमण को लेकर 2020 में हुए लॉकडाउन पीरियड में जैनब और उनके पिता की नौकरी छूट गई.

तब उसने मात्र 400 रुपये की पूंजी से मशरूम की खेती शुरू की और आज उसकी पूंजी 5 लाख रुपये की हो गई है.

वहीं, जैनब ने कुछ लोगों को अपने मशरूम की खेती में रोजगार दिया है और वह अपने काम को बढ़ाना चाहती है. ताकि अधिक लोगों को वह रोजगार दे सके.

हालांकि, बिना किसी सरकारी मदद के खुद की मेहनत के बदौलत “मशरूम गर्ल” बनी जैनब की कहानी महिलाओं को प्रेरित करने वाली है.

लॉकडाउन पीरियड में खुद की जीविका को लेकर स्ट्रगल कर रही जैनब बेगम आज कई लोगों को रोजगार दे रही है।

नौकरी की तलाश में जैनब

नौकरी की तलाश में जैनब ने जाना मशरूम की खेती बता दें कि उर्दू में एमए करने के बाद जैनब बेगम एक कंपनी में नौकरी कर रही थी.  जैनब की नौकरी लॉकडाउन में छूट गई. दूसरी ओर उसके सेल्समैन पिता की नौकरी भी चली गई.

चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी जैनब नौकरी छूटने के बाद ढाका थाना क्षेत्र स्थित अपने गांव बड़हरवा फत्ते चली आई.  घर में फांकाकस्सी की स्थिति आने वाली थी.  तो जैनब लॉकडाउन टूटने के बाद नौकरी की तलाश में वह बस से पटना जा रही थी.

मशरूम की खेती करने की ट्रेनिंग

बस में ही मशरूम की खेती करने की ट्रेनिंग लिए लोग आपस में बात कर रहे थे.  मशरूम के बारे में लोगों की बातों को सुनकर वह पूसा चली गई और वहां से मशरूम की खेती के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी ली.

जैनब के अनुसार वह मशरुम की खेती के अलावा उसका कई उत्पाद बनाती है. वह मशरुम का चॉकलेट,आचार और अदौरी के अलावा कई चीजों को बनाती है.जिसका बाजार में काफी डिमांड है. जैनब बेगम अपने मशरूम की खेती में ही अपना भविष्य देख रही हैं. साथ ही बरोजगार युवकों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए वह अपने काम को बढ़ाने में लगी हैं.

रिपोर्ट : ब्रजेश

Share with family and friends:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

20 − seven =