Ranchi : झारखंड सिविल सेवा परीक्षा 2024 का परिणाम ने कई परिवारों को खुशी के मारे झूमने का मौका दिया है तो कई परिवारों को गौरवान्वित भी किया है। इसी दौरान राजधानी रांची के चान्हों जैसे सुदुरवर्ती इलाके में रहने वाली दो सगी बहनो ने वो कमाल कर दिखाया है जिससे पूरे गांव के साथ-साथ एक समाज को भी गौरवान्वित किया है। इन दो बहनो का एक साथ जेपीएसएसी की परीक्षा में चयन हुआ है। दो बहने अब एक साथ अफसर बनने जा रही है।
JPSC Success Story : आदिवासी समाज से आती हैं दोनों बहने
हम बात कर रहे हैं चान्हों की रहने वाली दो सगी बहने दिव्या भगत और विद्या भगत की। दोनों ने अपने कड़े हौसले और परिश्रम से पहले ही प्रयास में एक साथ सफतला पाई है। इस प्रतिष्ठित परीक्षा को पास कर न सिर्फ अपने परिवार, बल्कि पूरे राज्य का नाम रोशन कर दिया है। इस उपलब्धि के साथ ही दोनों बहनों ने यह साबित कर दिया कि कठिन परिश्रम, अनुशासन और सही रणनीति के साथ कोई भी सपना हकीकत में बदला जा सकता है।

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दिव्या को जहां 309वीं रैंक मिली है, वहीं विद्या ने 312वीं रैंक हासिल कर यह जता दिया कि जुनून और लगन के आगे कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। दिलचस्प बात यह है कि दोनों ने न सिर्फ पढ़ाई साथ में की, बल्कि एक-दूसरे के आलोचक और मार्गदर्शक बनकर तैयारी की।
साथ पढ़ाई, साथ सपने, और साथ सफलता
दिव्या बताती हैं कि उन्होंने और विद्या ने 2021 से झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) की तैयारी शुरू की थी। दोनों ने रांची के संत फ्रांसिस स्कूल से स्कूली शिक्षा प्राप्त की और फिर रांची यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र (इकोनॉमिक्स) में स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। इसके बाद कोचिंग के लिए कैटालिस्ट IAS से मार्गदर्शन लिया।
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दिव्या ने बताया ने बताया कि “हम दोनों पढ़ाई के लिए एक ही कमरे में बैठते थे। वह कमरे के नॉर्थ साइड में और मैं साउथ साइड में बैठती थी। दोनों की अपनी स्ट्रेटजी होती थी, फिर हम मिलकर देखते थे कि किसका आइडिया बेहतर है। पढ़ाई के दौरान हम एक-दूसरे को टोकते भी थे और सुधारते भी, यही हमारी ताकत बनी,”।
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JPSC Success Story : बेटियां भी बना सकती हैं परिवार की शान
विद्या कहती हैं, “हमारे घर में कोई बेटा नहीं है, सिर्फ हम दोनों बहनें हैं। समाज के कुछ लोगों ने परिवार को ताना भी मारा कि बेटा नहीं है बेटियां क्या ही कर लेंगी, पर हमने ठान लिया था कि बेटा नहीं, बेटियाँ भी परिवार का नाम रोशन कर सकती हैं। इसी का नतीजा है कि हमने एक साथ परीक्षा भी पास की है।

दोनों ने बताया कि उनके पिता एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं और जिसके बाद परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं रही। बावजूद इसके, बहनों ने हार नहीं मानी। दोनों ने महंगे स्टडी मैटेरियल की जगह यूट्यूब और ऑनलाइन रिसोर्सेज पर भरोसा किया और खुद को अनुशासन में ढाल लिया।
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विद्या बताती हैं कि “हमने एक टाइम टेबल बनाया और हर दिन 8 से 10 घंटे पढ़ाई की। इस दौरान हमलोगों ने शादी-ब्याह, सोशल मीडिया, पार्टी-सबसे दूरी बनाकर रखी। लोग ताने भी मारते थे कि आप कहीं दिखते नहीं हो, लेकिन हमें पता था कि एक दिन सफलता मिलेगी तो वही लोग तारीफ करेंगे”।
JPSC Success Story : समाज को मिला नया संदेश
दिव्या और विद्या की सफलता सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि यह उन तमाम लड़कियों के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखती हैं। आज जब दोनों बहनों ने पहले ही प्रयास में सफलता का स्वाद चखा है, तो यह केवल परीक्षा की जीत नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, संघर्ष और नारी शक्ति की विजय है।
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दिव्या और विद्या ने यह साबित कर दिया कि बेटियां बोझ नहीं, बल्कि वह नींव होती हैं, जिस पर एक बेहतर समाज की इमारत खड़ी होती है। अब इन दोनों का सपना है कि वे प्रशासनिक सेवा में रहकर आम लोगों की मदद करें और खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और महिलाओं के सशक्तिकरण पर काम करें। उनकी यह सफलता पूरे झारखंड के लिए गर्व की बात है और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत उदाहरण भी।
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