Advertisment
Sunday, October 5, 2025

Latest News

Related Posts

झारखंड में भूमि सुधार कानून में बड़ा बदलाव तय, अवैध म्यूटेशन और दोहरी जमाबंदी रद्द करने का अधिकार मिलेगा एलआरडीसी को

रांची: झारखंड सरकार भूमि सुधार कानून में ऐतिहासिक बदलाव करने जा रही है। राज्य में अवैध म्यूटेशन और दोहरी जमाबंदी को लेकर वर्षों से चली आ रही कानूनी जटिलता को दूर करने के लिए विधानसभा के आगामी मानसून सत्र (1 अगस्त से प्रारंभ) में एक महत्वपूर्ण विधेयक लाया जाएगा। इस विधेयक के तहत अब अवैध म्यूटेशन और दोहरी जमाबंदी रद्द करने का अधिकार भूमि उप समाहर्ता (एलआरडीसी) को मिलेगा।

अब सिविल कोर्ट के बजाय एलआरडीसी लेंगे फैसला
फिलहाल म्यूटेशन और जमाबंदी रद्द करने का अधिकार केवल सिविल कोर्ट के पास है। अंचलाधिकारी केवल म्यूटेशन और जमाबंदी करने के अधिकारी हैं, लेकिन उसे रद्द करने का कानूनी अधिकार किसी भी राजस्व न्यायालय को प्राप्त नहीं है। इस वजह से हजारों मामले वर्षों से लंबित पड़े हैं और पीड़ितों को न्याय के लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।

बिहार भूमि सुधार अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव
राजस्व, भूमि सुधार एवं निबंधन विभाग द्वारा तैयार किए गए विधेयक के प्रारूप को विधि विभाग ने मंजूरी दे दी है। यह विधेयक बिहार भूमि सुधार अधिनियम, 1973 में संशोधन करके लाया जाएगा, जिसे झारखंड ने राज्य गठन के बाद भी अपनाए रखा है। बिहार पहले ही अपने अधिनियम में संशोधन कर चुका है, लेकिन झारखंड में अब तक यह बदलाव नहीं हुआ था।

एलआरडीसी के आदेश के खिलाफ अपील की व्यवस्था
इस प्रस्तावित बदलाव के तहत यदि कोई व्यक्ति एलआरडीसी के आदेश से असंतुष्ट होता है, तो वह उपायुक्त (डीसी) कोर्ट में अपील कर सकेगा। डीसी के निर्णय के विरुद्ध पुनरीक्षण याचिका प्रमंडलीय आयुक्त के समक्ष दायर की जा सकेगी।

1.75 लाख से अधिक अवैध जमाबंदी मामले लंबित
सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में अवैध जमाबंदी से जुड़े करीब 1.75 लाख मामले अभी लंबित हैं, जो लगभग 3.62 लाख एकड़ सरकारी जमीन से संबंधित हैं। पिछले एक वर्ष में महज 6711 मामलों का ही निपटारा हो सका है।

क्या होता है अवैध म्यूटेशन और दोहरी जमाबंदी?
कई बार धोखाधड़ी और साजिश के तहत फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एक ही जमीन की कई बार रजिस्ट्री करा दी जाती है और फिर उसका म्यूटेशन करवा लिया जाता है। इससे एक ही भूखंड पर दोहरी जमाबंदी हो जाती है, जिससे लंबे समय तक विवाद बना रहता है। इसी प्रकार सरकारी जमीन को गैरकानूनी तरीके से निजी लोगों के नाम दर्ज कर दिया जाता है।

झारखंड हाईकोर्ट की फटकार भी बनी आधार
झारखंड हाईकोर्ट ने कई मामलों में बिना विधिक अधिकार के जमाबंदी रद्द करने वाले राजस्व अधिकारियों पर कड़ी टिप्पणी की थी। कोर्ट ने स्पष्ट कहा था कि जब तक किसी को विधि द्वारा स्पष्ट अधिकार नहीं दिया जाता, तब तक म्यूटेशन और जमाबंदी रद्द करना अवैध माना जाएगा।राज्य सरकार का यह प्रस्तावित संशोधन लंबे समय से अटकी भूमि विवाद निपटारे की प्रक्रिया को तेज करेगा और आम जनता को सस्ती और सुलभ न्यायिक व्यवस्था प्रदान करेगा।

 

Loading Live TV...
146,000FansLike
25,000FollowersFollow
628FollowersFollow
632,000SubscribersSubscribe