रांची: राज्य में मंईयां सम्मान योजना के लाभुकों के सत्यापन का कार्य तेज़ी से चल रहा है। विभिन्न जिलों में सरकारी कर्मी लाभुकों के घर-घर जाकर उनके दस्तावेजों का मिलान कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां अपात्र लाभुकों ने भी योजना का लाभ लिया है। खासकर वे महिलाएं, जिनके पति सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं या फिर वे स्वयं मानदेय अथवा संविदा पर कार्यरत हैं, इस योजना की पात्रता की शर्तों का उल्लंघन कर लाभ प्राप्त कर चुकी हैं।
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योजना के नियम और अपात्र लाभुकों की सूची में शामिल लोग
मंईयां सम्मान योजना का लाभ केवल उन महिलाओं को मिलना चाहिए, जो निम्नलिखित शर्तों को पूरा करती हैं—
- आवेदन करने वाली महिला और उसका पति केंद्र या राज्य सरकार के कर्मचारी नहीं होने चाहिए।
- वे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, विधिक निकाय, शहरी निकाय अथवा सरकार से सहायता प्राप्त किसी संस्था से सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन या पारिवारिक पेंशन प्राप्त न कर रहे हों।
- जिनका ईपीएफ खाता है, वे भी इस योजना के लिए पात्र नहीं हैं।
सत्यापन के दौरान पता चला कि बड़ी संख्या में पारा शिक्षकों की पत्नियों, मानदेय और संविदा कर्मियों की पत्नियों, आंगनबाड़ी सेविकाओं, पोषण सखियों, जल सहियाओं और होमगार्ड कर्मियों की पत्नियों ने योजना का लाभ उठाया है। इसके अलावा कुछ महिला लाभुक ऐसी भी हैं, जिनके पति सरकारी नौकरी में हैं या फिर आयकर के दायरे में आते हैं।
गढ़वा जिले में लाभुकों की संख्या में भारी गिरावट
गढ़वा जिले के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2024 तक लगभग 2 लाख 42 हजार लाभुकों के खाते में योजना की राशि भेजी गई थी। लेकिन जब मार्च 2025 में लाभुकों के सत्यापन के बाद अपडेटेड डेटा लोड किया गया, तो यह संख्या घटकर मात्र 1 लाख 65 हजार रह गई। यह दर्शाता है कि बड़ी संख्या में अपात्र लाभुकों को योजना का लाभ मिल रहा था, जिनकी पहचान सत्यापन प्रक्रिया में हुई है।
अधिकारियों ने साधी चुप्पी, विभाग से संपर्क करने की कोशिश नाकाम
गुरुवार को राज्य स्तर से सभी जिलों के अधिकारियों के साथ सामाजिक सुरक्षा विभाग ने ऑनलाइन बैठक की थी। इस बैठक में विभिन्न जिलों के सत्यापन के आंकड़े पेश किए गए, जिसमें लाभुकों की संख्या में भारी गिरावट देखी गई। हालांकि, इस मुद्दे पर किसी भी जिले के अधिकारी ने खुलकर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
जब इस संबंध में सामाजिक सुरक्षा विभाग के निदेशक समीर एस से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उनका मोबाइल नंबर 7061792769 स्विच ऑफ मिला या उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। विभागीय स्तर पर कोई अधिकारी इस मुद्दे पर टिप्पणी देने के लिए तैयार नहीं है, जिससे इस गड़बड़ी को लेकर संदेह और भी बढ़ जाता है।
क्या होगी अगली कार्रवाई?
सरकार की ओर से अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि जिन अपात्र लाभुकों ने योजना का लाभ लिया है, उनसे वसूली की जाएगी या नहीं। हालांकि, सत्यापन के दौरान लाभुकों की संख्या में भारी कमी को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि सरकार जल्द ही इस पर कड़ा रुख अपनाएगी। यदि अपात्र लाभुकों से वसूली की जाती है और संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई होती है, तो यह अन्य सरकारी योजनाओं में भी पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।