रांची: हर दिन हर पल बदलते घटनाक्रम ने झारखंड की राजनीति को थोड़ा उलझा दिया है लेकिन इसके बाद भी एक चीज पूरी तरह स्पष्ट है कि गृह विभाग तो रानी को ही मिलेगा।
ड्राइविंग सीट पर भले ही राजा बैठा हो पर बगल वाली सीट पर तो रानी ही रहेगी ऐसे में गृह विभाग कहीं और जाता नहीं दिख रहा। यह जो 5 महीने पहले राजा राज्य कर रहा था ना तो अपने पास गृह विभाग रखा था लेकिन तब स्थिति कुछ और थी तब रानी नहीं थी उनके पास बगल वाली सीट पर बैठने के लिए।
इस सब के बीच नंबर दो की लड़ाई दो लोगों के बीच लड़ी जा रही है एक राजा का वह सिपाही है जिसने राजा की गाद्दी की 5 महीने रक्षा की दूसरा वह है जो महत्वाकांक्षी है और जिसका अंत परिधान दिल्ली से आता है वह भी दो नंबर बनना चाहता है राजा के लिए मुश्किल की घड़ी है वह सिपाही जिसके भरोसे राजा ने कारागार जाने से पहले अपनी पूरी ताकत धरोहर के रूप में सोप थी उसकी नाराजगी वह मोल नहीं ले सकता दूसरी ओर नंबर दो लड़ाई का दुसरा किरदार वही जिसका अंत: परिधान दिल्ली से आता है और राजा का पारिवारिक सदस्य है उसकी नाराजगी भी राजा को मुश्किल में डाल सकती है
राजा इन परिस्थितियों से अवगत है पर इसके बाद भी इसकी पूरी संभावना है की रानी के रहते हुए नंबर दो की कुर्सी यानी गृह विभाग रानी को ही मिलेगा। राजा के सहयोगी भी आपस में लड़ रहे हैं कह रहे हैं राजा के 12 रतन जो उनके दरबार में उनके साथ हो उनमें नए किरदारों को जोड़ा जाए पर राजा पुराने किरदारों को भी नाराज नहीं करना चाहता।
राजा की सोच सही भी है उसे आगे भी राज्य में शासन करना है जो बिना सहयोगियों के संभव नहीं है अब देखना दिलचस्प होगा की राजा सहयोगियों को नाराज किए बिना नंबर दो की लड़ाई में व्यस्त दोनों महत्वपूर्ण व्यक्तित्व को नाराज किए बिना अपने से जुड़े रहने और रानी को गृह विभाग देने में वह कितना सफल होता है।