रांची : कोरोना वायरस का नया वेरिएंट ओमीक्रॉन पूरी दुनिया में पैर पसारता हुआ दिखाई दे रहा है. कई देशों में फिर से पाबंदियां लगाई जा रही है. हालांकि भारत में भी ओमीक्रॉन के दो मरीजो की पुष्टि हुई है, और दोनों मरीज कर्नाटक से पाए गए हैं. जिसको लेकर भारत में भी तैयारियां शुरू कर दी है और लोगों में भी भय देखने को मिल रहा है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से लोगों से अपील की जा रही है कि संयम से काम ले और गाइडलाइंस का पालन करते रहे.
झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स है, हालांकि झारखंड में सीक्वेंसिंग मशीन नहीं है. मीडिया से बातचीत के दौरान डॉ दिवेश ने कहा कि रिम्स में ओमीक्रॉन को लेकर तैयारियां पूरी हो गई है. बता दें कि पहला स्ट्रेन और दूसरा स्ट्रेन में ट्रॉमा सेंटर को कोरोना के लिए तब्दील कर दिया गया था. उसी तरह ओमीक्रॉन के लिए भी ट्रॉमा सेंटर को कोरोना मरीजों के लिए तब्दील कर दिया गया है. जिसको लेकर पूरी तैयारियां रिम्स प्रशासन की ओर से हो गई है. बेड की व्यवस्था भी बढ़ा दी गई है, ताकि मरीजों को कोई भी परेशानियों का सामना न करना पड़ सके.
जिस तरह कोरोना वायरस के न्यू वैरीएंट से पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया है. इसको लेकर रिम्स के माइक्रोबायोलॉजी के एचओडी मनोज कुमार ने कहा जो सरकार का गाइडलाइंस की टेस्टिंग किट जो यूज़ हो रहा है वही यूज़ होते रहेगा. उसमें कोई बदलाव नहीं होगा. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि जब तक रिसर्च में कुछ अलग से नहीं आएगा तब तक यही किट इस्तेमाल होते रहेगा.
साउथ अफ्रीका में जो केस पहला बार 9 नवंबर को मिला ओमीक्रॉन का सीक्वेंसिंग किया तो पता चला कि ओमीक्रॉन वैरीएंट है, लेकिन वह भी सामान्य पीसीआर टेस्ट से पता चला, हालांकि अभी रिसर्च में काम कर रहे हैं और झारखंड में इसको लेकर सरकार के पाइप लाइन सीक्वेंसिंग मशीन है. वहीं मशीन जल्द से जल्द आने की संभावना बताई जा रही है. हालांकि मशीन को सेट करने के लिए लगभग एक महीना का समय लगता है, क्योंकि इसके लिए अलग लैब की सुविधा देनी होती है और ट्रेनिंग भी देनी होती है इसके बाद झारखंड में 1 महीने बाद ही मशीन लग सकती है.
रिपोर्ट : करिश्मा सिन्हा
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