Patna-बिहार से पटेल कार्ड- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधानमंत्री पद की दावेदारी की चर्चाओं के बीच
हम संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा है कि
आजादी के बाद पटेल समाज सरदार पटेल को प्रधानमंत्री बनाने से चुक गया.
लेकिन अब हम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बना कर पटेल समाज का वह पुराना सपना पूरा कर सकते हैं.
साथ ही देश तोड़ने की साजिश रचने को वालों को करारा जवाब दे सकते हैं.
जिस प्रकार सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देश को जोड़ने का कार्य किया था,
पटेल समाज का यह बेटा भी देश तोड़ने वालों से संघर्ष जारी रखेगा.
इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि हम 2024 में नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाएंगे.
यहां हम बतला दें कि जब से नीतीश कुमार ने एनडीए खेमें से अलग होकर महागठबंधन के साथ सरकार बनायी है,
यह चर्चा गरम है कि वह 2024 में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं.
पटेल कार्ड खेलकर हिन्दी भाषा-भाषी राज्यों में घेरना चाहती है विपक्ष
वैसे खुद नीतीश कुमार के द्वारा कभी भी इस प्रकार के दावे नहीं किये गयें,
लेकिन जदयू की ओर से उनकी दावेदारी की चर्चाओं को यह कहकर हवा दी जा रही है कि
नीतीश कुमार में प्रधानमंत्री बनने की सारी खुबियां है.
यही कारण है कि सिर्फ बिहार ही नहीं राष्ट्रीय मीडिया में उनकी दावेदारी को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम है.
माना जा रहा है कि नीतीश कुमार के चेहरे को सामने रख कर विपक्ष
बिहार, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, यूपी, मध्यप्रदेश और
अन्य हिन्दी भाषा भाषी राज्यों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को समक्ष कड़ी चुनौती पेश कर सकता है.
जीतन राम मांझी अब पटेल समाज के बेटे का मुद्दा उछालकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गृह राज्य में गुजरात में ही चुनौती पेश करते नजर आ रहे हैं.
गुजरात में राजनीतिक भागीदारी को लेकर मुखर रहे हैं पटेल
यहां बतला दें कि गुजरात में पटेल समाज की एक बड़ी आबादी है,
यह तबका राजनीतिक तौर पर भी काफी जागरुक है,
अपनी राजनीतिक-सामाजिक भागीदारी को लेकर भी लम्बे समय से संघर्ष करता रहा है.
गुजरात, बिहार, मध्यप्रदेश, झारखंड, उत्तरप्रेदश छतीसगढ़ सहित कई दूसरे
राज्यों में पटेल समाज की बड़ी आबादी है. बड़ी बात यह है कि
खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी बार-बार इस बात को दुहराते रहें कि
सरदार बल्लभ भाई पटेल प्रधानमंत्री पद के स्वाभाविक उम्मीदवार थें,
लेकिन उनके साथ छल किया गया, अब यदि यही पटेल कार्ड विपक्ष की ओर से उछाला जाता है तो
गुजरात में भाजपा को असहज स्थिति का सामना करना पड़ सकता है.
कहा जा सकता है कि यह पटेल कार्ड भाजपा को उसके ही गढ़ गुजरात में घेराबंदी करने की रणनीति है.