मधुबनी : जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर गुरुवार को अंधराठाढ़ी प्रखंड में प्रेसवार्ता की। इस दौरान इन्होंने कहा कि मधुबनी के लोग अपने गौरवशाली इतिहास पर पीठ थपथपाना बंद करें। मधुबनी में मैं जब आया तो यहां के लोगों ने कहा कि ये विद्वानों की धरती है। लेकिन, मैं कहता हूं कि ये विद्वानों की जमीन नहीं है, बल्कि मजदूरों की जमीन है। सबसे ज्यादा मधुबनी, सीतामढ़ी से आपके बच्चे पलायन कर रहे हैं। विद्वानों की जमीन कभी थी, आज मजदूरों की जमीन बन गई है। इसके लिए कहीं न कहीं आप और हम सभी दोषी हैं। जिन नेताओं ने इसको इस दशा में पहुंचाया है, उन नेताओं को आपने और हमने चुनकर भेजा है।
प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर, आप नहीं सुधरिएगा तो ये कथा-कहानी का हिस्सा बन जाएगा कि मधुबनी में कभी विद्वान पैदा होते थे, अब यहां पर केवल मजदूर पैदा हो रहे हैं, ये दुखद स्थिति है। इसमें यहीं दो मत नहीं है कि ये जगह इटेलेक्चुअल कैपिटल है, घर-घर में लोगों ने पांडुलिपि लिखी है, लेकिन वो चीजें बर्बाद हो गईं। अब उन्हीं घरों से पांडुलिपि नहीं लिखी जा रही है, मजदूर बनाकर भेजे जा रहे हैं, लोग मजदूर बनकर निकल रहे हैं। पांडुलिपि लिखने वाले, कविता लिखने वाले और इतिहास लिखने वाले लोग नहीं पैदा हो रहे। जीवन की सच्चाई ये है कि आप इतिहास के लिए नहीं जाने जाते आप लोग मजदूरों के लिए जाने जाते हैं। हर घर से यहां से बाहर जाकर लोग मजदूरी कर रहे हैं ये मधुबनी की भी सच्चाई है।
एसके राजीव की रिपोर्ट