गया के जिस इलाके में कभी नक्सलियों की बंदूके गरजा करती थी अब वहां की बेटियां देश की रक्षा योगदान दे रही है। नक्सल क्षेत्र की बेटी घर की चारदीवारी से निकलकर बीएसएफ की ट्रेनिंग ले लौटी गांव, लोगों ने किया भव्य स्वागत
गया: गया का इमामगंज नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। लेकिन अब लोग नक्सली प्रभाव को दरकिनार कर अब मुख्यधारा से जुड़ कर अपनी जिंदगी संवार रहे हैं। नक्सल प्रभावित इलाकों में बसे लोगों को आम जनजीवन से जुड़ने और विकास करने के लिए एक तरफ सरकार करोड़ों रूपये खर्च कर रही है वहीं दूसरी तरफ इस क्षेत्र की बेटियां भी आगे बढ़ रही हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्र इमामगंज के मंझौली पंचायत के तेलवारी गांव की रहने वाली पूनम ने अपने दम पर सफलता का झंडा गाड़ा है।
उसकी सफलता में चार चांद उस वक्त लग गए जब पूनम के ट्रेनिंग कर लौटने पर गांव वालों ने उसे अपने सर पर बैठा लिया। पूनम बीएसएफ में चयनित हुई है और मध्य प्रदेश के ग्वालियर से बीएसएफ की ट्रेनिंग कर इमामगंज लौटी। इमामगंज वापस लौटने पर सबसे पहले मंजीत फिजिकल एकडेमी ने उसका भव्य स्वागत किया। स्वागत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में छकरबंधा पंचायत के मुखिया शयम सुंदर प्रसाद और ट्रेनर रिटायर्ड फौजी राजीव कुमार मौजूद थे।
अकादमी में स्वागत समारोह के बाद गांव में पूनम का स्वागत मुखिया समेत पूरे गांव के लोगों ने गाजे बाजे के साथ फूल माला पहना कर किया। लोगों ने उसकी आरती उतारी और मिठाइयां खिलाई। पूनम एक गरीब परिवार की बेटी है और उसके पिता चेन्नई में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं, जबकि मां खेतिहर मजदुर हैं।
गया से आशीष कुमार की रिपोर्ट
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