पाकुड़ : आजादी के 75 साल बाद भी आदिम जनजाति के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित है.
मामला जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड जोर्डिहा पंचायत स्थित पंगडों पहाड़ गांव की है.
आजादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद आज भी बुनियादी सुविधाओं से दूर है.
आदिम जनजाति: गांव में नहीं है पानी की व्यवस्था
इस गांव में आदिम जनजाति पहाड़िया समाज के लोग रहते हैं.
अभी भी इस गांव के लोगों को ना बिजली है, ना पीने के लिए स्वच्छ पानी है.
आज भी इन सभी चीजों का इन पहाड़िया समाज के लोगों को नसीब नहीं हुई.
एक ओर जहां देश डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ रही है, वहीं दूसरी तरफ आज भी
इन पहाड़ियों में रहने वाले आदिम जनजाति के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.

झरना से लाते हैं पानी
गांव में पानी का व्यवस्था नहीं होने के वजह से यहां के लोग झरना से पानी लाकर अपने जरूरतों को पूरा करते हैं.
वहीं महिलाओं का कहना है कि पानी लाने के लिए हम लोगों को झरना जाना पड़ता है, जिससे करीबन आने जाने में 45 से 50 मिनट लग जाती है. अगर हम बिजली की बात करें तो इस गांव में अभी तक नहीं पहुंची है. मोबाइल चार्ज एवं बल्ब जलाने के लिए घरों पर सोलर प्लेट लगाई गई है.
आदिम जनजाति: अंधेरे में गुजरती है रातें
ग्रामीणों का कहना है जिस दिन मौसम खराब रहता है या लगातार बारिश होती है, उस समय बैटरी चार्ज नहीं हो पाती है. जिस कारण अंधेरे में ही खाना बनाना पड़ता है. उस दिन बच्चों की पढ़ाई भी नहीं हो पाती है. अब देखने वाली बात होगी कि कब तक पहाड़ों में रहने वाले पहाड़िया समाज के लोगों को मूलभूत सुविधाएं मिल पाएंगे.
रिपोर्ट: संजय कुमार सिंह
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