रांची : राज्य में आयुष्मान योजना से जुड़े अस्पतालों के बकाया भुगतान नहीं होने और
राशि को समायोजित करने में हो रहे विलंब की जांच के लिए
झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है. याचिका अशोक कुमार मिश्र ने दायर की है.
कई अस्पताल मरीजों का नहीं कर रहे इलाज
इसमें कहा गया है कि आयुष्मान योजना से जुड़े अस्पतालों को उनके बकाया राशि अस्पतालों को
बकाया भुगतान नहीं होने से कई अस्पताल अब इस योजना के तहत इलाज नहीं कर रहे हैं.
इस कारण राज्य की गरीब जनता को काफी परेशानी हो रही है और उनका जीवन प्रभावित हो रहा है.
अस्पतालों को नहीं हो रहा भुगतान
याचिका में कहा गया है कि अस्पतालों से भेजे गए दावे को भी लटकाया जा रहा है और
राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है. अदालत से इस पूरे मामले की जांच कराने का आग्रह किया गया है
ताकि आम लोगों को इस योजना का लाभ मिल सके और
गरीबों के लिए शुरू की गयी यह योजना सफल हो सके.
आयुष्मान: कंपनी के साथ करीब 600 करोड़ का एमओयू
बता दें कि आईएमए जिला अध्यक्ष डा. शंभू प्रसाद सिंह ने बताया था कि
बीमा कंपनियों को अगर भुगतान ही नहीं किया जाएगा तो कैसे अस्पतालों को भुगतान होगा.
उन्होंने बताया कि 22 सितंबर 2021 को बीमा कंपनियों के साथ करार समाप्त हो गया.
जिसके बाद सरकार को फिर एक साल के लिए एमओयू करना था,
लेकिन यह समय पर नहीं हो सका और एक्स्टेंशन पर चलता गया.
इसमें 11 फरवरी तक का समय निकल गया और एक्शटेंशन तक 198 करोड़ रुपए का
प्रिमियम कंपनियों पर बकाया हो गया. इसके एवज में सरकार ने कंपनियों को 70 करोड़ का प्रिमियम दिया.
जिसके बाद भी 128 करोड़ बकाया रहा.
इसके बाद अब इसी माह के 11 अप्रैल के बाद कंपनी के साथ करीब 600 करोड़ का एमओयू करार हुआ.
आयुष्मान: करीब 300 करोड़ से अधिक का बकाया
उन्होंने बताया कि मुताबिक करार के वक्त ही पहली किश्त का 45 प्रतिशत तक दिया जाना है. इसके अनुसार करीब 270 करोड़ में से सिर्फ 98 करोड़ प्रिमियम दिया गया.
इसके बाद नियम के अनुसार दूसरी किश्त छह माह के बाद 45 प्रतिशत और बाकी 10 प्रतिशत प्रिमियम दिया जाना है. इसे मिलाकर देखा जाए तो सितंबर से लेकर अब तक करीब 300 करोड़ से अधिक का बकाया है. ऐसे में कोई बीमा कंपनी कैसे अस्पतालों को भुगतान कर सकेगी.
रिपोर्ट: प्रोजेश दास