विशाखापट्टनम: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 के अवसर पर PM नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम से देश और दुनिया को संबोधित किया। उन्होंने योग को मानवता के लिए एक साझा मंच बताया और कहा कि आज योग सिर्फ भारत की सांस्कृतिक धरोहर नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की जीवनशैली का हिस्सा बन गया है। इस वर्ष योग दिवस की थीम “Yoga for One Earth, One Health” रही, जिसे प्रधानमंत्री ने ‘Me to We’ के भाव से जोड़ते हुए विस्तार से समझाया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि योग का अर्थ है – जुड़ना। आज यह देखना सुखद है कि योग ने न केवल भारत को, बल्कि पूरे विश्व को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया है। उन्होंने याद किया कि जब 11 वर्ष पहले भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव रखा था, तब 175 देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। यह मानवता के हित में एक असाधारण वैश्विक एकजुटता का उदाहरण था।
अपने भाषण में पीएम मोदी ने विशाखापट्टनम में आयोजित कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, डिप्टी सीएम पवन कल्याण और नारा लोकेश के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि ‘योगांध्र अभियान’ में दो करोड़ से अधिक लोगों की भागीदारी इस बात का प्रतीक है कि जब जनता खुद किसी अभियान को अपना लेती है, तो परिणाम हमेशा ऐतिहासिक होते हैं।
पीएम मोदी ने नारा लोकेश के प्रयासों को विशेष रूप से रेखांकित करते हुए कहा कि उन्होंने यह दिखा दिया कि योग का सामाजिक उत्सव कैसे मनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह जनसंपर्क नहीं, बल्कि जनजागरण का कार्य है और यह उदाहरण पूरे देश के लिए प्रेरणा बन सकता है।
प्रधानमंत्री ने ‘Me to We’ के विचार को भारत की आत्मा का सार बताया। उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति केवल अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर समाज और पर्यावरण की भलाई के बारे में सोचता है, तभी संपूर्ण मानवता का कल्याण संभव होता है। उन्होंने भारत की संस्कृति का हवाला देते हुए कहा – “सर्वे भवन्तु सुखिनः” का भाव ही हमें योग से प्राप्त होता है।
योग को वैश्विक शांति का माध्यम बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज पूरी दुनिया किसी न किसी तनाव और अस्थिरता से जूझ रही है। ऐसे समय में योग एक ऐसा ‘Pause बटन’ है, जो मानवता को फिर से संतुलन, शांति और आत्मबोध की ओर ले जाता है। उन्होंने विश्व समुदाय से आग्रह किया कि यह योग दिवस “Yoga for Humanity 2.0” की शुरुआत बने, जहां योग केवल व्यक्तिगत अभ्यास न रहकर वैश्विक नीति और साझेदारी का हिस्सा बने।
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि भारत योग को विज्ञान और अनुसंधान के माध्यम से और मजबूत कर रहा है। देश के प्रमुख मेडिकल और रिसर्च संस्थान योग पर एविडेंस-बेस्ड थेरेपी के रूप में काम कर रहे हैं ताकि इसे आधुनिक चिकित्सा पद्धति में उचित स्थान मिल सके। उन्होंने कहा कि यह प्रयास योग की वैज्ञानिकता को और मजबूत करेगा।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में योग की गतिविधियों का उल्लेख करते हुए कहा कि चाहे वह सिडनी ओपेरा हाउस की सीढ़ियां हों, एवरेस्ट की चोटी, समंदर का किनारा हो या अंतरिक्ष – हर जगह से यही संदेश आता है कि योग सबका है और सबके लिए है।
उन्होंने अंत में अपील की कि हर देश, हर समाज योग को जीवनशैली और लोकनीति का हिस्सा बनाए। योग को विश्व को टकराव से सहयोग, तनाव से समाधान और व्यक्तिगत साधना से वैश्विक शांति की दिशा में ले जाने का माध्यम बनाया जाए। यह मानवता के उज्जवल भविष्य की ओर एक सकारात्मक और सामूहिक कदम होगा।