वाराणसी/ प्रयागराज :प्रतापगढ़ रेलवे स्टेशन को महाकुंभ ने बना दिया करोड़पति। प्रतापगढ़ रेलवे स्टेशन को महाकुंभ 2025 ने कमाई के लिहाज से काफी सेहतमंद बना दिया है। अब प्रतापगढ़ रेलवे स्टेशन करोड़पति रेलवे स्टेशनों की सूची में शुमार हो गया है।
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महाकुंभ के दौरान पूर्वानुमान के मुताबिक, प्रयागराज के सभी रेलवे स्टेशनों के अलावा वाराणसी, बनारस, पं. दीनदायाय उपाध्याय जं, अयोध्या, फैजाबाद और लखनऊ रेलवे स्टेशनों पर तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं की भीड़ टिकट कटवाने को पहुंची।
लेकिन महाकुंभ में पहुंची श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों के भीड़ ने सबसे ज्यादा चौंकाया प्रतापगढ़ रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर वहां टिकटों की खरीददारी करके।
महाकुंभ में प्रतापगढ़ में बिकीं 20 करोड़ की टिकटें
यूपी में प्रयागराज से सटे मां बेल्हा देवी धाम प्रतापगढ़ जंक्शन पर रूटीन में रोजाना 800 से एक हजार रेलयात्री ही ट्रेन पकड़ने के लिए आते थे। प्रतिदिन 2 लाख से अधिक का राजस्व होना मुश्किल होता था। लेकिन महाकुंभ में प्रतापगढ़ जंक्शन दिन-रात यात्रियों से भरा रहा।
महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला था। 144 साल बाद आयोजित होने वाले महाकुंभ में देश-विदेश के लोग स्नान करने संगम आए। मेले का आयोजन 13 जनवरी से शुरू हुआ, जो 26 फरवरी को समाप्त हो गया।
इसमें मुख्य रूप से पौष पूर्णिमा, वसंत पंचमी, मौनी अमावस्या, माघी पूर्णिमा व महाशिवरात्रि पर अधिक भीड़ प्रतापगढ़ जंक्शन पर ट्रेन पकड़ने के लिए उमड़ी। जंक्शन से होकर 2 दर्जन महाकुंभ स्पेशल ट्रेनों का संचालन हुआ।
इससे यहां 20 करोड़ रुपये बरसे हैं। यूं कहें तो महाकुंभ ने तो रेलवे का खजाना ही भर दिया।
महाकुंभ के समापन दिन संगम में दिखा आस्था का ज्वार।
45 दिनों के महाकुंभ में प्रतापगढ़ में हुई कमाई से रेलवे खुश
महाकुंभ 2025 के दौरान श्रद्धालुओं को आवागमन में कोई दिक्कत न होने पाए, इसके लिए दो दर्जन से अधिक महाकुंभ स्पेशल ट्रेनों का भी मां बेल्हा देवी धाम प्रतापगढ़ जंक्शन से होकर संचालन किया गया।
इस लिहाज अब हिसाब-किताब का जो ब्योरा सामने आया है, वह काफी सुखद है। पिछले डेढ़ माह यानि 45 दिनों में मां बेल्हा देवी धाम प्रतापगढ़ जंक्शन से महाकुंभ स्नान करने के लिए 1 लाख 67 लाख 820 रेल यात्रियों ने यहां से टिकटें कटवाईं और यात्रा की।
इसमें 20 करोड़ 6 लाख 91 हजार 450 रुपये का राजस्व भी रेलवे को प्राप्त हुआ। इससे रेलवे का खजाना भर गया। पहले रेल अधिकारियों को यह उम्मीद नहीं थी कि प्रतापगढ़ जंक्शन से करोड़ों रुपये का राजस्व आएगा। लेकिन अब वे इसे लेकर वह खुश हैं।
वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (लखनऊ डिवीजन) कुलदीप तिवारी छूटते ही बड़े ही प्रसन्न मुद्रा में कहते हैं कि – ‘डेढ़ माह से मां बेल्हा देवी धाम प्रतापगढ़ जंक्शन का राजस्व काफी बढ़ा है। 20 करोड़ से अधिक की आय हुई है। करीब दो लाख श्रद्धालुओं ने टिकट लेकर यात्रा की। श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए दो दर्जन से अधिक महाकुंभ स्पेशल ट्रेनों का भी संचालन किया गया।’
प्रतापगढ़ रेलवे स्टेशन
संपन्न हुए महाकुंभ में 66.30 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई पावन डुबकी
महाशिवरात्रि पर बुधवार को महाकुंभ सनातनी परंपरा की धर्म ध्वजा को पूरी दुनिया में 45 दिनों तक विस्तार देते हुए महारिकार्ड बनाते हुए संपन्न हो गया। इस दौरान कुल 66.30 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम त्रिवेणी वाली जलधारा में पावन डुबकी लगाई।
इसी के साथ 45 दिन तक चलने वाले महाकुंभ 2025 का महाशिवरात्रि स्नान पर्व पर बुधवार को समापन हो गया। बीते 45 दिनी यह आयोजन 66 करोड़ से अधिक सनातनियों के समागम का साक्षी बना। हालांकि, मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के अविरल तट पर आस्था जन प्रवाह अब भी बना हुआ है।
आखिरी दिन बीते बुधवार को महाकुंभ में संगम त्रिवेणी में सायं 4 बजे तक 1.32 करोड़ श्रद्धालुओं ने डुबकी लगा ली। यह संख्या इससे पहले बुधवार को अपराह्न 2 बजे तक 1.18 करोड़ तक पहुंच चुकी थी।
अब कुंभ 2031 में इससे भी बड़ी लकीर खींची जा सके, इन्हीं संकल्पों एवं संभवनाओं के साथ संंत विदा हो चुके हैं तो यूपी की Yogi सरकार एवं महाकुंभ मेला प्रशासन ने भी बीते बुधवार की संध्या से मेला समेटना शुरू कर दिया है।
बीते दिनों में पूरी दुनिया मानों यहां सिमटी दिखाई दी और सनातन धर्म के वैभव का हिस्सा बनने के साथ आध्यात्मिक चेतना का आत्मसात किया।राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री समेत अधिकांश केंद्रीय मंत्री, मुख्य चुनाव आयुक्त, शीर्ष नौकरशाहों के अलावा उद्योगपति गौतम अडानी, मुकेश अंबानी, एप्पल के सह संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी पावेल जॉब्स,अक्षय कुमार समेत कई बड़े फिल्म स्टार समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों के अलावा 76 देश के प्रतिनिधि महाकुंभ की भव्यता को देखा तो देश और कई प्रदेशों की सरकारें भी तीर्थों के राजा के आगे नतमस्तक हुई।