पाकुड़ः झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री व भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने पाकुड़ जिले वासियों को रेल सेवाओं में आ रही असुवधिओं को लेकर रेल मंत्री अश्वनि वैष्णव को पत्र लिखा है. बाबूलाल मरांडी जी ने पाकुड़ में रेल यात्रियों को हो रही परेशानियों से रेल मंत्री जी का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा है कि झारखंड प्रदेश के पिछड़े आदिवासी बहुल पाकुड़ राजस्व संग्रहण में रेलवे को उल्लेखनीय योगदान देता रहा है. यह इसी बात से समझा जा सकता है कि पाकुड़ से पत्थर व कोयला के ढुलाई में वित वर्ष 2021-22 में लगभग 2300 करोड़ रुपए रेलवे को आमदनी हुई है. लेकिन राजस्व संग्रहण में बड़े योगदान के बावजूद इस क्षेत्र में रेल सुविधाओं का अनुपातिक विकास नहीं हो पाया है. भौगोलिक दृष्टि से पाकुड़ झारखण्ड-पश्चिम बंगाल के सीमा पर स्थित है. रोजगार की तलाश में और अन्य कारणों से लोग पश्चिम बंगाल आते-जाते हैं. वैकल्पिक व्यवस्था के अभाव में सड़क मार्ग ही एकमात्र यातायात का साधन है जो कि सर्वसुलभ और सस्ता कतई नहीं है. इसी तरह पाकुड़ क्षेत्र से असंगठित क्षेत्र के मजदूर रोजगार की तलाश में सुदूर दक्षिण और पुर्वाेतर भारत के विभिन्न शहरों को जाते हैं.
रेल के ठहराव न होने के कारण उनकी यात्रा कठिन
पाकुड़ में रेल के ठहराव न होने के कारण उनकी यात्रा कठिन हो जाती है. सवारी गाड़ियों के ठहराव और नए गाड़ियों के परिचालन के सम्बन्ध में समय-समय पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा रेल मंत्रालय के संज्ञान में लाने के लिए प्रतिवेदन प्रेषित किया गया है (प्रतिलिपि संलग्न). इसी जनकांक्षाओं के अनुरुप निम्नलिखित ट्रेनों के परिचालन में पाकुड़ स्टेशन में ठहराव की व्यवस्था से रेल उपभोक्ताओं की एक बड़ी आबादी को परिष्कृत रेल सुविधा मिलेगी-
1. गुवाहाटी-बंगलुरु एक्सप्रेस ट्रेन (12509/10) का पाकुड़ में ठहराव।
2. कन्याकुमारी-विवेक एक्सप्रेस (22503/22504) का पाकुड़ में ठहराव।
3. गुवाहाटी-हावड़ा-सराईहाट एक्सप्रेस (12345/12346) का पाकुड़ में ठहराव।
4. शताब्दी एक्सप्रेस (12041/12042) का पाकुड़ में ठहराव।
5. मालदा-वर्धमान पैसेन्जर ट्रेन का पुनः परिचालन।
6. पाकुड़ से दिल्ली जाने के लिए सीधी रेल सेवा।
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