रांची : आदित्य साहू और महुआ माजी को मिलेगा प्रमाण पत्र- झारखंड से राज्यसभा के लिए
एनडीए के बीजेपी प्रत्याशी आदित्य साहू और झामुमो की महुआ माजी के
निर्विरोध निर्वाचित होने की घोषणा आज हो जाएगी. शुक्रवार को नामांकन वापसी का अंतिम दिन है.
इसकी अवधि खत्म होने के साथ ही विधानसभा के प्रभारी सचिव सह
रिटर्निंग आफिसर सैयद जावेद हैदर द्वारा दोनों के निर्विरोध निर्वाचन की घोषणा कर दी जाएगी.
2014 के बाद पहला मौका
दोनों प्रत्याशियों की जीत नामांकन दाखिल करने के साथ ही तय हो गई थी,
क्योंकि दो सीटों के लिए दो ही उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था. वर्ष 2014 के बाद यह पहला मौका है जब झारखंड से राज्यसभा के लिए प्रत्याशी निर्विरोध चुनकर उच्च सदन जाएंगे. यहां पहली बार वर्ष 2004 में निर्विरोध निर्वाचन हुआ था, तब भाजपा के यशवंत सिन्हा और झारखंड मुक्ति मोर्चा के स्टीफन मरांडी अपने-अपने दल के प्रत्याशी थे.
परिमल नाथवानी और प्रेमचंद गुप्ता निर्विरोध हुए थे निर्वाचित
दूसरी बार वर्ष 2006 में कांग्रेस से माबेल रेबेलो और भाजपा से एसएस अहलुवालिया निर्विरोध निर्वाचित होकर राज्यसभा पहुंचे थे. इसके बाद वर्ष 2014 में निर्दलीय प्रत्याशी परिमल नाथवानी और राजद के प्रेमचंद गुप्ता उच्च सदन के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए थे.
बांग्लाभाषी होने के बावजूद हिन्दी में ही किया लेखन कार्य
डॉ. महुआ माजी समाजशास्त्रत्त में स्नातकोत्तर और पीएचडी हैं. उन्होंने यूजीसी-नेट, में भी सफलता पाई थी. बांग्लाभाषी होने के बावजूद हिन्दी में ही लेखन कार्य किया. शुरुआती दौर में वे कविताएं लिखती थीं. बाद में कहानी और उपन्यास लेखन में आगे बढ़ीं. अपने पहले उपन्यास- मैं बोरिशाइल्ला से ही चर्चा में आ गई थीं. यह बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम की पृष्ठभूमि पर लिखी गई थी. उनका दूसरा उपन्यास- मरंग गोड़ा नीलकंठ हुआ भी चर्चित रहा, जो जादूगोड़ा में यूरेनियम खनन पर केंद्रित था. डॉ महुआ माजी की कहानियां- वागर्थ, हंस, नया ज्ञानोदय समेत हिन्दी की अन्य साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में छपती रही हैं. वर्तमान में वह अपने नए उपन्यास पर काम रही हैं. इसके अलावा एक नन-फिक्शन पर भी काम रही हैं, जो उनके राज्य महिला आयोग अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान के अनुभवों पर आधारित होगा.
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