रांची/साहिबगंज: झारखंड के बहुचर्चित साहिबगंज अवैध खनन और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 30 जून 2025 को विशेष पीएमएलए अदालत में पांचवां अनुपूरक आरोप पत्र दाखिल किया है। ईडी ने इस चार्जशीट में 8 नए व्यक्तियों और 2 कॉर्पोरेट संस्थाओं को आरोपी बनाया है।
ईडी ने अदालत को बताया कि पंकज मिश्रा के नेतृत्व में एक संगठित सिंडिकेट ने अवैध खनन, जबरन वसूली और अवैध खनिज परिवहन के जरिए 1000 करोड़ रुपये से अधिक की आपराधिक कमाई की।
दाहू यादव अब भी फरार, संपत्ति कुर्क
इस पूरे नेटवर्क का मुख्य प्रबंधक राजेश यादव उर्फ दाहू यादव बताया गया है, जो फिलहाल फरार है। उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया जा चुका है और उसकी संपत्ति भी कुर्क की जा चुकी है।
धोखाधड़ी से टेंडर हासिल करने का खुलासा
जांच में सामने आया है कि सिंडिकेट ने साहिबगंज-मनिहारी नौका सेवा के संचालन के लिए 8.52 करोड़ रुपये का टेंडर धोखाधड़ी से हासिल किया।
कॉरपोरेट संस्थाओं पर भी शिकंजा
कोलकाता स्थित मरीन इंफ्रालिंक लॉजिस्टिक्स और इसके निदेशक यश जालान पर 2.75 करोड़ रुपये के बदले अवैध परिवहन के लिए जहाज उपलब्ध कराने का आरोप है।
वहीं, मेसर्स रायादव ट्रांसपोर्टेशन, जो कि दाहू यादव के परिवार के नियंत्रण में है, का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया गया। इसके बैंक खाते में जमा 63.39 लाख रुपये फ्रीज किए गए हैं।
अब तक की ईडी की जब्ती
3.49 करोड़ रुपये नकद
एक अंतर्देशीय जहाज (एम.वी. इंफ्रालिंक-III)
पांच स्टोन क्रशर
दो टिपर ट्रक
2.47 करोड़ रुपये के बैंक खाते
इसके अतिरिक्त, हीरा लाल भगत के परिसर से 3.13 करोड़ रुपये नकद जब्त किए गए हैं।
साजिश की स्वीकारोक्ति
जांच में निमय चंद्र शील ने स्वीकार किया है कि उसने अवैध खनन पट्टा प्राप्त करने के लिए पंकज मिश्रा के साथ साजिश रची थी।
ईडी की जांच में तेजी के साथ यह मामला लगातार नए खुलासे कर रहा है और इससे जुड़े राजनीतिक तथा कॉर्पोरेट गठजोड़ की परतें खुल रही हैं।