Big Breaking : नीरज सिंह हत्याकांड में संजीव सिंह को क्लीन चिट

नीरज सिंह हत्याकांड: 8 साल से ज़्यादा लंबी कानूनी लड़ाई के बाद संजीव सिंह को क्लीन चिट; पत्नी, परिवार और समर्थकों ने ली राहत की साँस

धनबाद की बहुचर्चित नीरज सिंह हत्याकांड में आज अदालत ने पूर्व झरिया विधायक संजीव सिंह को बरी (क्लीन चिट) कर दिया। यह फैसला उस मुकदमे का पड़ाव है, जिसकी सुनवाई और पेशियों का सिलसिला आठ साल से अधिक चला—स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक इस दौरान सैकड़ों तारीखें पड़ीं और मामले की सुनवाई कई अदालतों में हुई। फैसले के साथ ही संजीव सिंह, उनकी पत्नी रागिनी सिंह, परिवार और समर्थकों के लिए यह बड़ी राहत का क्षण बना।

 नीरज सिंह हत्याकांड —2017 की दहला देने वाली वारदात

21–22 मार्च 2017 को धनबाद के स्टीलगेट इलाके में पूर्व डिप्टी मेयर व कांग्रेस नेता नीरज सिंह और उनके साथ मौजूद तीन अन्य लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यह शूटआउट कोयलांचल की राजनीति का सबसे हाई-प्रोफाइल केस बना। बाद में पुलिस ने कई आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी और मुकदमा विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट में चला।

आठ साल की जद्दोजहद के बाद निर्णय

इस केस में सुनवाई आठ वर्षों से अधिक चली। स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक आज (27 अगस्त 2025) के निर्णय से पहले अदालत परिसर और संवेदनशील इलाकों में कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की गई थी—इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि फैसला कितना अहम और प्रतीक्षित था।

फैसले के मायने—परिवार के लिए सुकून, सियासत के लिए संकेत

  • परिवार/समर्थक: लंबी क़ैद और मुकदमेबाज़ी के बाद आए इस निर्णय ने संजीव सिंह के घर-परिवार और समर्थकों को स्पष्ट राहत दी है। उनकी पत्नी रागिनी सिंह बार-बार अदालत पर भरोसा जताती रही हैं—हाल में सुप्रीम कोर्ट से बेल मिलने पर भी उन्होंने यही कहा था कि न्याय होगा।

  • सियासी असर: झरिया-धनबाद की राजनीति में यह केस दो प्रभावशाली परिवारों की जद्दोजहद का प्रतीक रहा है। बरी होने के बाद स्थानीय राजनीतिक समीकरणों, खासकर कार्यकर्ता–समर्थक नेटवर्क और आने वाले चुनावी मौसम पर इसका असर दिख सकता है।

  • कानूनी प्रक्रिया: 2017 से चल रही जांच–ट्रायल में कई आरोप, गवाहियाँ और जिरहें हुईं। आज के आदेश ने अभियोजन के उस narrative पर सवाल खड़े किए हैं, जिसके आधार पर आरोप तय हुए थे।

टाइमलाइन (संक्षेप)

  • मार्च 2017: नीरज सिंह और तीन अन्य की हत्या; मामला राष्ट्रीय सुर्खियों में।

  • 2017–2024: केस का ट्रायल, अनेक पेशियाँ; सुरक्षा/सियासी तनाव बना रहा।

  • 8 अगस्त 2025: सुप्रीम कोर्ट से संजीव सिंह को जमानत; “8 साल जेल” का संदर्भ यहीं से सुर्खियों में आया।

  • 27 अगस्त 2025: धनबाद एमपी-एमएलए अदालत का फैसला—संजीव सिंह बरी/क्लीन चिट; परिवार–समर्थकों में खुशी।

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