डिजीटल डेस्क : Yogi सरकार को Supreme फटकार, बुलडोजर एक्शन को बताया अराजक – मनमानी। बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार को बुलडोजर एक्शन पर Supreme कोर्ट ने फटकार लगाई है। मामला यूपी के महाराजगंज जिले का है। वहां सड़क चौड़ीकरण प्रोजेक्ट के लिए घरों को बुलडोजर के जरिए ध्वस्त किया गया था।
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उसी मामले में मनोज टिबरेवाल आकाश की ओर से याचिका दायर की गई थी। उसी की सुनवाई करते हुए बुधवार को इस बुलडोजर एक्शन को Supreme कोर्ट ने अराजक और मनमानी बताया है।
Supreme आदेश – बुलडोजर से टूटे घर के मालिक को दें 25 लाख
इसी मामले की सुनवाई के क्रम में Supreme कोर्ट ने आगे कहा कि यूपी सरकार ने जिसका घर तोड़ा है उसे 25 लाख रुपये का मुआवजा दें।
Supreme कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि – ‘आप कहते हैं कि वह 3.7 वर्गमीटर का अतिक्रमणकर्ता था। हम इसे सुन रहे हैं, लेकिन कोई प्रमाण पत्र नहीं दे रहे हैं, पर आप क्या इस तरह लोगों के घरों को कैसे तोड़ना शुरू कर सकते हैं?
…यह अराजकता है, किसी के घर में घुसना।…यह पूरी तरह से मनमानी है। …उचित प्रक्रिया का पालन कहां किया गया है? हमारे पास हलफनामा है, जिसमें कहा गया है कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था।
…आप केवल साइट पर गए थे और लोगों को सूचित किया था। हम इस मामले में दंडात्मक मुआवजा देने के इच्छुक हो सकते हैं। क्या इससे न्याय का उद्देश्य पूरा होगा?’

तीखी सुप्रीम टिप्पणी – मानवाधिकार आयोग के आदेशों का कुछ सम्मान करना होगा
जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि – ‘आपके यह कहने का आधार क्या है कि यह अनाधिकृत था ? आपने 1960 से क्या किया है? पिछले 50 साल से क्या कर रहे थे?
…बहुत अहंकारी हैं… राज्य को एनएचआरसी के आदेशों का कुछ सम्मान करना होगा। …आप चुपचाप बैठे हैं और एक अधिकारी के कार्यों की रक्षा कर रहे हैं।
आपके अधिकारी ने पिछली रात सड़क चौड़ीकरण के लिए पीले निशान वाली जगह को तोड़ दिया… अगले दिन सुबह आप बुलडोजर लेकर आ गए। यह अधिग्रहण की तरह है। आप बुलडोजर लेकर नहीं आते और घर नहीं गिराते…।
….आप परिवार को घर खाली करने का समय भी नहीं देते। …चौड़ीकरण तो सिर्फ एक बहाना था। …इस पूरी कवायद का कोई कारण नहीं लगता’।

सीजेआई का चुभता सवाल – …कथित अतिक्रमण के क्षेत्र से परे घर तोड़ने की जरूरत क्यों थी?
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने प्रकरण की जांच का आग्रह किया तो CJI ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कितने घर तोड़े? राज्य के वकील ने जवाब दिया कि 123 अवैध निर्माण थे। इसके बाद CJI के तेवर सख्त हुए।
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि –‘वार्ड नंबर 16 मोहल्ला हामिदनगर में स्थित अपने पैतृक घर और दुकान के विध्वंस की शिकायत करते हुए मनोज टिबरेवाल द्वारा संबोधित पत्र पर स्वत: संज्ञान लिया गया था। रिट याचिका पर नोटिस जारी किया गया था। …इस मामले में जांच करने की आवश्यकता है।
…यूपी राज्य ने एनएच की मूल चौड़ाई दर्शाने के लिए कोई दस्तावेज पेश नहीं किया है। …दूसरा यह साबित करने के लिए कोई भौतिक दस्तावेज नहीं है कि अतिक्रमणों को चिह्नित करने के लिए कोई जांच की गई थी। ….तीसरा यह दिखाने के लिए बिल्कुल भी सामग्री नहीं है कि परियोजना के लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया था।
…राज्य सरकार अतिक्रमण की सटीक सीमा का खुलासा करने में विफल रहा है। अधिसूचित राजमार्ग की चौड़ाई और याचिकाकर्ता की संपत्ति की सीमा, जो अधिसूचित चौड़ाई में आती है।
…ऐसे में कथित अतिक्रमण के क्षेत्र से परे घर तोड़ने की जरूरत क्यों थी? एनएचआरसी (मानवाधिकार आयोग) की रिपोर्ट बताती है कि तोड़ा गया हिस्सा 3.75 मीटर से कहीं अधिक था’।