रांची: झारखंड में शिक्षक नियुक्तियों और जेपीएससी परीक्षाओं से जुड़े मामलों में न्यायालयों का रुख राज्य सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण बनता जा रहा है। झारखंड उच्च न्यायालय ने हजारीबाग जिले में वर्ष 2015 के विज्ञापन और वर्ष 2019 में हुई नियुक्तियों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।
अदालत ने उन शिक्षकों को नोटिस जारी करने का भी निर्देश दिया है जिन्हें कथित रूप से कम अंक होने के बावजूद इंटरमीडिएट प्रशिक्षित शिक्षक पद पर नियुक्त किया गया। अदालत ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार यह स्पष्ट करे कि नियुक्तियों में पारदर्शिता का पालन किया गया या नहीं। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता चंचल जैन ने अदालत से नियुक्ति रद्द करने और योग्य उम्मीदवारों के लिए नया पद सृजित कर बहाली का आग्रह किया। मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी।
उधर, सुप्रीम कोर्ट ने पांचवीं जेपीएससी संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा में दिव्यांग आरक्षण से संबंधित अपील पर ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि दिव्यांग अभ्यर्थियों की योग्यता के अनुसार नियुक्ति प्रक्रिया में उनके दावे पर विचार कर दो माह के भीतर सभी आवश्यक कार्रवाई पूरी की जाए।
इस मामले में अपीलकर्ता ज्योति कुमारी ने छठी जेपीएससी परीक्षा भी पास की थी और वर्तमान में प्रखंड विकास पदाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि वे चाहें तो पांचवीं जेपीएससी के तहत अपनी योग्यता के अनुसार पद प्राप्त कर सकती हैं, जो झारखंड प्रशासनिक सेवा का हो सकता है। हालांकि यदि वे प्रस्ताव स्वीकार नहीं करतीं, तो उनकी नियुक्ति वर्तमान स्थिति के अनुसार मानी जाएगी और उन्हें उस बैच के अनुसार वरिष्ठता प्राप्त होगी, लेकिन किसी अतिरिक्त वेतन लाभ की पात्रता नहीं होगी।
इसके अतिरिक्त, रांची हाईकोर्ट ने उम्र कैद की सजा भुगत रहे दो अभियुक्तों — राम प्रसन्न दुबे और ललिता देवी — को उनकी अपील याचिका पर सुनवाई करते हुए जमानत प्रदान की है। न्यायमूर्ति रंगन मुखोपाध्याय और न्यायमूर्ति अंबुज नाथ की पीठ ने मुचलके पर यह राहत दी।