डिजिटल डेस्क : भारत प्रत्यर्पण से बचने को आतंकी तहव्वुर राणा का नया दांव। पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक आतंकी तहव्वुर राणा ने 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के मामले में भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ होने के बाद फिर से अपना भारत प्रत्यर्पण रुकवाने को नया दांव चला है।
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तहव्वुर राणा ने मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स के सामने एक नई अर्जी दाखिल की है। राणा के वकीलों की ओर से गुरुवार को दायर की गई अर्जी के मुताबिक, तहव्वुर राणा ने पहले न्यायमूर्ति कागन के सामने पेश बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लंबित मुकदमे पर रोक लगाने संबंधी अपनी आपात अर्जी अब नवीनीकृत की है।
ऐसे में अनुरोध किया जाता है कि नवीनीकृत अर्जी मुख्य न्यायाधीश रॉबर्ट्स के समक्ष पेश की जाए। अभी इस पर कोर्ट का पक्ष नहीं आया है।
पहले की याचिका हुई थी खारिज…
इससे पहले अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने भारत प्रत्यर्पण के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी। आतंकी तहव्वुर राणा ने दलील दी थी कि अगर उसे भारत प्रत्यर्पित कर दिया जाता है तो वहां उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा सकता है।
याचिका में कहा गया था कि, ‘मामले में प्रताड़ित किए जाने की संभावना और भी अधिक है, क्योंकि याचिकाकर्ता मुंबई हमलों में आरोपी पाकिस्तानी मूल का मुस्लिम है।’
याचिका में यह भी कहा गया था कि उसकी गंभीर चिकित्सा स्थिति के कारण उसे भारतीय हिरासत केंद्रों में प्रत्यर्पित करना इस मामले में वास्तव में मौत की सजा है। जनवरी में अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने राणा की याचिका खारिज कर दी थी और उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी थी।
उसके बाद 26/11 हमले का आरोपी तहव्वुर राणा ने 27 फरवरी को अमेरिका की शीर्ष अदालत के एसोसिएट जस्टिस और नौवें सर्किट की सर्किट जस्टिस एलेना कागन के सामने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लंबित मुकदमे पर रोक लगाने के लिए आपात आवेदन प्रस्तुत किया था।
शीर्ष कोर्ट की वेबसाइट पर बीते 6 मार्च को प्रकाशित एक नोट में कहा गया, ‘अर्जी… न्यायमूर्ति कागन ने अस्वीकार की।’

कोर्ट में फैल हो गया था आतंकी तहव्वुर राणा का पैंतरा…
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में तहव्वुर राणा की ओर चला गया पैंतरा इसी के साथ फेल हो गया था। इससे पहले तहव्वुर राणा ने अपने भारत प्रत्यर्पण से बचने के लिए नई चाल चली थी। राणा ने अपने प्रत्यर्पण पर रोक लगाने के लिए अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट में आपातकालीन याचिका दायर की थी।
आवेदन में उसने दावा किया कि वह पाकिस्तानी मूल का मुस्लिम है, इसलिए भारत में उसे प्रताड़ित किया जाएगा, लिहाजा उसके प्रत्यर्पण पर रोक लगाई जाए। राणा ने अपने खराब स्वास्थ्य का भी हवाला दिया है।
पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राणा (64) को फिलहाल लॉस एंजिलिस के एक मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में रखा गया है। तहव्वुर राणा 26/11 हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमैन हेडली का करीबी है।

डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही प्रत्यर्पण का किया था ऐलान
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने पिछले महीने राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी। अमेरिकी यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में बोलते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बारे में ऐलान किया था।
तब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐलान किया था कि –‘…मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि मेरे प्रशासन ने दुनिया के सबसे बुरे लोगों और मुंबई आतंकी हमले के साजिशकर्ताओं में से एक को भारत में न्यायिक प्रक्रिया का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित करने को मंजूरी दे दी है। इसलिए भारत वापस जा रहा है।’
इससे पहले जनवरी में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी थी, क्योंकि कोर्ट ने मामले में उसकी समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया था। भारत ने पिछले महीने कहा था कि वह तहव्वुर राणा के जल्द प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी अधिकारियों के साथ काम कर रहा है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था, ‘…अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी को आरोपी की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।
…हम अब मुंबई आतंकी हमले के आरोपी को भारत में जल्द प्रत्यर्पित करने के लिए प्रक्रियात्मक मुद्दों पर अमेरिकी पक्ष के साथ काम कर रहे हैं।’
बता दें कि 26 नवंबर 2008 को 10 पाकिस्तानी आतंकियों के एक समूह ने अरब सागर में समुद्री मार्ग के जरिए भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई में घुसपैठ किया था।
उसने के बाद एक रेलवे स्टेशन, दो होटलों और एक यहूदी केंद्र पर हमला किया था। लगभग 60 घंटे तक चले इस हमले में 166 लोग मारे गए थे।
उस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। हमले के बाद आतंकी अजमल आमिर कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था। नवंबर 2012 में अजमल आमिर कसाब को पुणे की यरवदा जेल में फांसी पर लटका दिया गया था।