रिपोर्टः चुमन कुमार/ न्यूज 22स्कोप
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बोकारोः जिला के सुदूरवर्ती इलाकों में कई ऐसे गांव है. जहां इलाज के लिए दूर जाना पड़ता है.
साथ ही इलाज के अभाव मे जान गवाना पड़ता है. सरकार बहुत बड़ी बड़ी बाते करती है.
लेकिन धरातल पर लाचारी के सिवाय कुछ नहीं दिखता है. ऐसा ही मामला है बोकारो के कई अस्पतालों की है.
ऐसे कई सीएचसी बन का तैयार हुए. कई साल हो गए लेकिन आज तक अस्पताल चालू नहीं हो सका है.
उद्घाटन के पूर्व उसकी जांगला, खिड़की चोर ले उड़े. लिहाजा अस्पताल भूत बंगला में तब्दील हो गया.
अस्पताल परिसर जंगल में तब्दील हो गया है. मालूम हो करोड़ों रुपया खर्च कर सीएचसी अस्पताल बनकर
तैयार हुआ लेकिन कोई काम का नही. अस्पताल के नाम पर राशि का बंदरबाट किया गया.
तैयार अस्पताल असमाजिक तत्वों का अड्डा बन गया.
मरीजों को इलाज के लिए जाना पड़ता है दूर
निमाही महतो ने कहा की अगर यह अस्पताल चालू हो जाता तो हजारों लोगो के लिए संजीवनी बूटी हो जाता.
क्योंकि यहां के आस पास के जितने गांव के लोग है उनको 20-30 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.
जिनके पास सुविधा है वो तो लेकर चले जाते है, लेकिन जिनके पास कोई सुविधा नहीं है वह निजी नर्सिंग होम
में इलाज कराने को विवश होते हैं. जिसके चलते उनका पैसा अच्छा खासा खर्चा हो जाता है.
बवायूद इलाज सही नहीं हो पाता है.
स्वर्गीय राजेंद्र सिंह ने यह अस्पताल बनवाया था कि हमारे गरीब लोगों को दूर नहीं जाना पड़े.
यहीं पर इलाज करवाएं लेकिन उनके चले जाने के बाद कोई इस अस्पताल पर ध्यान नहीं दिया.
सालों से तैयार सीएचसी के संचालन पर सरकार का ध्यान नहीं
अनिता गुप्ता ने कहा की चंद्रपुरा से दूर जंगल में यह अस्पताल बनाने का कोई मतलब ही नहीं था.
अगर यह बन ही गया तो चालू जरूर करवाना चाहिए था.
यह अस्पताल 50 बेड का बना हुआ था जब स्वर्गीय राजेंद्र बाबू अपने कार्यकाल में अस्पताल बनवाए थे.
और उनके जाने के बाद इस अस्पताल पर जितने भी प्रतिनिधि आए आज तक कुछ नहीं किए.
आज यह हाल हो गया है कि करोड़ों खर्च करके आज यह बिल्डिंग तैयार हुआ है लेकिन अब चोर सब दरवाजा ,
खिड़की, हर सामान चोरी कर रहे है. अब यह बिल्डिंग देखने में भूत बंगला लगता है.
अगर इस पर सरकार ध्यान देती तो यह अस्पताल चालू होने से कई लोगों को फायदा पहुंचाता.
करोड़ों रुपए से बने अस्पताल अनुपयोगी – योगेश्वर महतो
पूर्व विधायक योगेश्वर महतो उर्फ बाटुल ले कहा कि स्वर्गीय राजेंद्र बाबू जब स्वास्थ मंत्री थे,
तो गरीबों के लिए उन्होंने चिंता की थी. लेकिन आज करोड़ों रुपए से बने अस्पताल अनुपयोगी हैं.
संसाधन उपलब्ध नहीं हैं- सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ अभय भूषण प्रसाद कहते हैं कि पद सृजित नहीं है, संसाधन उपलब्ध नहीं हैं.
डीएमएफटी से इसे चालू कराने का प्रस्ताव आया है. सभी रिपोर्ट भेज दिया गया है. शीघ्र ही अस्पताल चालू होंगे.