नवादा: नवादा (Nawada) के रजौली अनुमंडल मुख्यालय में स्थित अनुमंडलीय अस्पताल में अक्सर कुछ न कुछ कमियां देखने को मिलती है। अस्पताल में चिकित्सकों एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के पद खाली पड़े हुए हैं। अस्पताल में पीकू की सुविधा ठप पड़ी हुई है। इसके बावजूद अनुमंडलीय अस्पताल को कागजों पर ट्रामा सेंटर बनाकर संचालन किया जा रहा है। अस्पताल में बीते दो-तीन माह पूर्व एक गर्भवती महिला का प्रसव करवाया गया, जिससे आसपास के लोगों में काफी उम्मीदें जगी, किंतु उसके बाद स्थिति पूर्ववत ही बनी हुई है। अस्पताल में बंध्याकरण कराने आई महिलाओं को भी आधारभूत सुविधा नहीं दी जाती है।
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बंध्याकरण कराने महिलाओं को आधारभूत सुविधा की कमी
शुक्रवार को Nawada के रजौली अनुमंडलीय अस्पताल में आसपास के क्षेत्रों से कुल 6 महिलाएं अपने परिजनों के साथ बंध्याकरण कराने पहुंची। सभी महिलाओं का बंध्याकरण डॉ अनुज कुमार के द्वारा किया गया। अस्पताल में मौजूद Nawada के झिरझो गांव से आई कौशल्या देवी अपने मरीज कविता कुमारी, भाईजी भित्ता गांव से आई तेतरी देवी अपने मरीज सरिता कुमारी, बिजवन गांव से आये अजय कुमार अपने मरीज सरिता देवी, भुसडी गांव से आई सुनीता देवी अपने मरीज आरती कुमारी व आशा ललिता देवी अपने मरीज रुक्मिणी देवी एवं अमावां गांव से आई आरती कुमारी अपने मरीज संगीता कुमारी के साथ मौजूद रहीं।
परिजनों ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा बेड पर चादर एवं कम्बल उपलब्ध नहीं कराया गया। वहीं परिजनों ने अपने घरों से गंदे बिस्तर एवं कम्बल को लाकर मरीज को ढांकते नजर आए। बंध्याकरण के बाद अस्पताल में साफ-सफाई का कोई ध्यान नहीं रखा गया।
जीविका दीदी को मिली है साफ-सफाई का जिम्मा, फिर भी नहीं सुधरे हालात
Nawada के रजौली अनुमंडलीय अस्पताल में बीते लगभग आठ-दस महीनों से रसोई एवं बेड पर बिछने वाले चादरों की साफ-सफाई का जिम्मा जीविका दीदी को सौंपा गया था। अस्पताल में जीविका दीदियों द्वारा रसोई का संचालन तो किया जा रहा है, किंतु चादरों की साफ-सफाई का काम अबतक शुरू नहीं किया गया है।
इस कारणवश अस्पताल में आनेवाले मरीजों को या तो बिना चादर के बेड पर लेटना पड़ता है या तो उन्हें अपने घर से चादर एवं कम्बल आदि लाना पड़ता है। मरीजों के परिजनों ने बताया कि जीविका दीदी के हाथों में साफ-सफाई का जिम्मा गया है, तबसे स्थिति दयनीय है। इससे तो अच्छा अस्पताल प्रबंधन के द्वारा पूर्व में साफ-सुथरे बेड पर चादरों की व्यवस्था की जाती थी।
बंध्याकरण के बाद बेहोश महिलाओं के लिए स्ट्रेचर तक की व्यवस्था नहीं
Nawada के रजौली अनुमंडलीय अस्पताल में शुक्रवार को बंध्याकरण के बाद ऑपरेशन थियेटर से महिलाओं को पुरुष स्वास्थ्यकर्मी अपने गोद में उठाकर दूसरे कमरों में पड़े बेड तक ले जाते दिखाई दिए। बंध्याकरण महिलाओं के सुरक्षा को दरकिनार रखकर उनके साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया जाना किसी भी स्तर से सही नहीं है। इस दौरान मरीज के ऑपरेशन के टांके तक बुरी तरह से प्रभावित हो सकते हैं। अस्पताल में स्ट्रेचर रहने के बावजूद मरीजों से साथ दुर्व्यवहार किया गया, जिससे परिजन काफी आहत हुए।
क्या कहते हैं पदाधिकारी
इस बाबत Nawada के रजौली एसडीओ आदित्य कुमार पीयूष ने कहा कि मरीजों के साथ दुर्व्यवहार कदापि बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आने के बाद दोषियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। वहीं प्रभारी डीएस डॉ दिलीप कुमार को वित्तीय प्रभार के बारे में भी वरीय पदाधिकारी से बातचीत किया जाएगा।
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