Wednesday, August 20, 2025

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राज्य सरकार के भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस नीति को सुनिश्चित कराने हेतु कटिबद्ध है निगरानी विभाग

पटना : सूचना एवं जन-संपर्क विभाग पटना के संवाद कक्ष में निगरानी विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी की अध्यक्षता में प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। निगरानी विभाग का गठन 26 फरवरी 1981 को किया गया। मूलतः निगरानी विभाग का उद्देश्य प्रशासनिक व्यवस्था को भ्रष्टाचार एवं कदाचार से मुक्त करना है। राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार पर सकारात्मक एवं निरोधात्मक निगरानी रखने हेतु वर्तमान निगरानी प्रणालियों को सक्षम, कारगर, संवेदनशील एवं गतिशील बनाना ही इस विभाग का मुख्य उद्देश्य है। निगरानी विभाग द्वारा सरकार के भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टाॅलरेंस की नीति और लोक निधि के दुरुपयोग को रोकने के साथ-साथ लोक निर्माण में गुणवता सुनिश्चित करने की दिशा में कार्रवाई की जा रही है।

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत दर्ज कांडों के विचारण हेतु तीन विशेष निगरानी न्यायालय पटना, मुजफ्फरपुर एवं भागलपुर में कार्यरत है। वादों के विचारण हेतु विशेष निगरानी न्यायालय पटना में 11, मुजफ्फरपुर चार एवं भागलपुर में दो विशेष लोक अभियोजक कार्यरत है। बिहार विशेष न्यायालय अधिनियम 2009 के तहत छह न्यायालय दो पटना, दो मुजफ्फरपुर एवं दो भागलपुर में कार्यरत है। वादों के विचारण हेतु विशेष निगरानी न्यायालय पटना में दो, मुजफ्फरपुर में दो एवं भागलपुर में दो विशेष लोक अभियोजक कार्यरत है। भ्रष्टाचार के नियंत्रण हेतु विभागीय एवं जिला स्तरीय निगरानी कोषांगों को सशक्त एवं प्रभावी ढंग से कार्य करने की दिशा में पहल की गई है। विभागीय मुख्य निगरानी पदाधिकारियों के साथ 30 सितंबर 2024 को बैठक की गई है एवं दिशा-निर्देश दिए गए हैं। जिला में गठित जिलास्तरीय उड़नदस्ता दल के साथ छह दिसंबर 2024 को बैठक-सह-प्रशिक्षण कार्यशाला निर्धारित है।

निगरानी संबंधी दर्ज प्राथमिकियों के विरुद्ध लंबित अभियोजन स्वीकृति की नियमित समीक्षा से अभियोजन स्वीकृति के मामलों का निष्पादन तेजी से हो रहा है। निगरानी विभाग द्वारा प्राप्त परिवाद पत्रों की जांच कराकर नियमानुसार निष्पादन किया जाता है। निगरानी विभाग के स्तर पर एक पोर्टल का निर्माण के माध्यम से किया गया हैे। सभी प्राप्त परिवादों को इसी पोर्टल पर अपलोड करने की कार्रवाई की जा रही है। भविष्य में इसी पोर्टल के माध्यम से विभागों/जिलों को परिवादों को जांच हेतु भेजते हुए उसका अनुश्रवण किया जाएगा।

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कार्य विभागों के राज्य स्तरीय अनुसूचित दर निर्धारण प्रक्रिया में अनुसूचित दर के प्रकाशन हेतु निर्धारित बैठकों में अपना मंतव्य एवं सुझाव देकर अनुसूचित दर की स्वीकृति में तकनीकी परीक्षक कोषांग की महत्वपूर्ण भूमिका है। तकनीकी परीक्षक कोषांग अन्तर्गत कार्यरत प्रयोगशाला में आवश्यक यंत्र/संयत्र स्थापित कर प्रयोगशाला जांच की व्यवस्था को सृदृढ़ किया गया है। कार्य विभागों द्वारा सम्पादित कराये जा रहे कार्यों के उच्च स्तर के कार्य सम्पादन को सुनिश्चित करने के लिये तथा डिजाईन एवं स्पेसिफिकेशन के अनुरूप कार्य को सुनिश्चित करने हेतु तकनीकी परीक्षक कोषांग द्वारा समय-समय पर योजनाओं की औचक जांच की जाती है।

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