घाटशिला उपचुनाव की सुगबुगाहट तेज, चंपाई सोरेन के ट्वीट से सियासी हलचल बढ़ी। भाजपा से बाबूलाल सोरेन और झामुमो से सोमेश सोरेन के बीच मुकाबले की अटकलें।
रांची: झारखंड की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने अपने सोशल मीडिया एक्स अकाउंट पर “जोहार घाटशिला” लिखते हुए एक तस्वीर साझा की, जिसके बाद घाटशिला उपचुनाव को लेकर सियासी चर्चा तेज हो गई है।
दरअसल, 15 अगस्त को शिक्षा मंत्री और झामुमो विधायक रामदास सोरेन के निधन के बाद घाटशिला विधानसभा सीट खाली हो गई है। अब इस सीट पर उपचुनाव होना तय है, हालांकि चुनाव आयोग ने अभी तारीखों का ऐलान नहीं किया है। माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही घाटशिला उपचुनाव भी कराया जा सकता है।

Key Highlights:
घाटशिला सीट रामदास सोरेन के निधन के बाद खाली हुई।
चंपाई सोरेन के “जोहार घाटशिला” ट्वीट से बढ़ी हलचल।
भाजपा से बाबूलाल सोरेन और झामुमो से सोमेश सोरेन के बीच टक्कर की संभावना।
पिछले चुनाव में बाबूलाल सोरेन को मिले थे 75,910 वोट।
सहानुभूति लहर उपचुनाव में अहम साबित हो सकती है।
राजनीतिक हलचल इसलिए और बढ़ गई है क्योंकि पिछले चुनाव में भाजपा उम्मीदवार बाबूलाल सोरेन ने रामदास सोरेन को कड़ी टक्कर दी थी। उस चुनाव में रामदास सोरेन को 98,356 वोट मिले थे, जबकि बाबूलाल सोरेन को 75,910 वोट हासिल हुए थे। अब कयास लगाया जा रहा है कि भाजपा एक बार फिर बाबूलाल सोरेन पर दांव लगा सकती है।
वहीं, झामुमो रामदास सोरेन के बेटे सोमेश सोरेन को टिकट देने पर विचार कर रही है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उपचुनाव में सहानुभूति लहर अहम भूमिका निभा सकती है, जैसा कि पहले डुमरी और मधुपुर उपचुनाव में देखने को मिला था।
फिलहाल दोनों दलों की ओर से उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन संभावना है कि मुकाबला बाबूलाल सोरेन और सोमेश सोरेन के बीच हो सकता है। चंपाई सोरेन का सक्रिय होना और घाटशिला में लगातार कार्यक्रमों में शामिल होना इस बात का संकेत माना जा रहा है कि भाजपा में भी इस सीट को लेकर रणनीति तेज हो गई है।
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