रांची: नींबू पहाड़ अवैध खनन मामले में राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाइ हुई। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मामले पर फैसला चुरक्षित रख लिया है.
इस मामले में महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट का आदेश केवल प्रारंभिक जांच यानी पीई दर्ज करने का था, लेकिन राज्य सरकार की अनुमति के बिना सीबीआई ने मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली, जो गलत है.
पीई में अगर सीबीआई को कुछ मिला था तो राज्य सरकार की अनुमति लेनी चाहिए थी. वहीं सीबीआई की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट का आदेश था कि अगर पीई में कुछ आपराधिक घटनाओं की संलिप्तता मिलती है तो वह कानूनसम्मत निर्णय लेकर आगे की कार्रवाई कर सकता है.
पीई में आपराधिक संलिप्तता और हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में सीबीआई डायरेक्टर ने मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था और मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है.
प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सीबीआई को राज्य सरकार की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है. पीई दर्ज के बाद आगे की कार्रवाई के संबंध में हाईकोर्ट का आदेश काफी स्पेसिफिक था.
राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से पक्ष रखा, जबकि महाधिवक्ता राजीव रंजन, अधिवक्ता पीयूष चित्रेश भी मौजूद रहे.
ज्ञात है कि विजय हांसदा ने पहले पंकज मिश्रा एवं अन्य द्वारा नींबू पहाड़ पर अवैध खनन को लेकर जो शिकायत की थी और मामले की सीबीआई जांच करने का आग्रह हाईकोर्ट से किया था।
बाद में विजय हांसदा ने अपने उस याचिका को वापस लेने का अनुरोध कोर्ट से किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने उसके इस आग्रह को नहीं मानते हुए दबाव में याचिका वापस लेने के आग्रह और नींबू पहाड़ अवैध खनन की वस्तुस्थिति की प्रारंभिक जांच करने का आदेश सीबीआई को दिया था।
सीबीआई ने इसकी प्रारंभिक जांच में मिले तथ्यों के आधार पर हाईकोर्ट से साहिबगंज में नींबू पहाड़ में अवैध खनन मामले में एक संशोधित आदेश पारित करने का आग्रह किया, लेकिन हाईकोर्ट ने सीबीआई द्वारा नींबू पहाड़ में अवैध खनन को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने के आग्रह का निरस्त कर दिया था। इसके बाद भी सीबीआई ने बिना हाईकोर्ट की अनुमति एवं राज्य सरकार की सहमति के नींबू पहाड़ पर अवैध खनन को लेकर 20 दिसंबर 2023 को प्राथमिकी दर्ज की थी।