कैथोलिक ईसाई न होते तो तमिलनाडु बन जाता बिहार- एम. अप्पानु

Chennai– कई दशक से बिहार असहज करने वाले बयानों का शिकार बनता रहा है. ताजा मामला तमिलनाडु विधानसभा के स्पीकर और डीएमके नेता एम. अप्पानु का है. उन्होंने राज्य के कैथोलिक ईसाइयों को साधने के चक्कर में यहां तक कह दिया कि अगर वे नहीं होते तो तमिलनाडु भी बिहार बन गया होता. अब उनके इस नजरिये की कड़ी आलोचना हो रही है. भाजपा ने सत्ताधारी डीएमके को हिंदू विरोधी पार्टी करार देते हुए एम. अप्पानु के बयान की आलोचना की.

ईसाई मिशनरियों की सामाजिक समानता का विस्तार है द्रविड़ आंदोलन

दरअसल जून के आखिरी सप्ताह में चेन्नै में कैथोलिक ईसाई समुदाय के एक कार्यक्रम में तमिलनाडु विधानसभा के स्पीकर और डीएमके नेता एम. अप्पानु ने हिस्सा लिया था. जहां उन्होंने ईसाई समुदाय को राज्य की उन्नति का श्रेय देते हुए कहा कि `अगर ईसाई फादर और सिस्टर नहीं होते तो तमिलनाडु भी बिहार बन गया होता. तमिलनाडु से ईसाई हटा दिए गए तो कोई विकास नहीं होगा. ईसाई मिशनरी सामाजिक समानता लाए और द्रविड़ आंदोलन उनके ही कामों का विस्तार है.

आपकी प्रार्थना और उपवास से बनी है यह सरकार- एम. अप्पानु

तमिलनाडु सरकार आपकी है. आपकी प्रार्थनाओं और उपवास से यह सरकार बनी है. एम. अप्पानु के इस बयान की
भाजपा ने कड़ी आलोचना की है. भाजपा प्रवक्ता मोहन कृष्णा ने डीएमके पर हिंदुओं के अपमान का एजेंडा चलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि डीएमके जब से सत्ता में आई है, विवादों में है. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु विधानसभा के स्पीकर को अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए. यह पूरी तरह से तुष्टीकरण है. जबकि तमिलनाडु भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष नारायणन ने डीएमके से सवाल करते हुए कहा कि क्या यही उसकी धर्मनिरपेक्षता है. उन्होंने कहा कि डीएमके ने खुद को धर्मनिरपेक्ष पार्टी कहने का अधिकार खो दिया है. उन्होंने डीएमके को हिंदू विरोधी पार्टी ठहराया है.

`कैथोलिक ईसाई न होते तो तमिलनाडु बन जाता बिहार

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