रांची: झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य के विश्वविद्यालयों में नियमित असिस्टेंट प्रोफेसरों और शिक्षकेतर कर्मियों की नियुक्ति से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) को प्रतिवादी बनाया है। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने जेएसएससी को नोटिस जारी कर विश्वविद्यालयों में तृतीय वर्ग के कर्मियों की नियुक्ति के संबंध में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

जनहित याचिका याचिकाकर्ता अनिकेत ओहदार और अन्य की ओर से दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि रांची विश्वविद्यालय में लंबे समय से नियमित नियुक्तियां नहीं की गई हैं और केवल संविदा के आधार पर पद भरे जा रहे हैं, जो नियमों का उल्लंघन है। याचिका में संविदा के बदले नियमित नियुक्ति की मांग की गई है।
सुनवाई के दौरान झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) ने कोर्ट को बताया कि रांची विश्वविद्यालय से अधियाचना प्राप्त हो चुकी है। इसमें 431 नियमित और 37 बैकलॉग पदों के लिए दो माह के भीतर चयन प्रक्रिया शुरू की जाएगी और विज्ञापन भी जारी कर दिया जाएगा। हालांकि राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों से अभी अधियाचना प्राप्त नहीं हुई है।
जेपीएससी ने यह भी कहा कि वर्ष 2018 में शुरू हुई 400 असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति (विज्ञापन संख्या 04/2018 और 05/2018) की प्रक्रिया भी पूरी की जाएगी। मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी।