गिरिडीहः अमृतसर के संस्थापक और सिक्ख धर्म के चौथे गुरु राम दास जी का 487वां प्रकाश पर्व स्थानीय स्टेशन रोड स्थित गुरुद्वारा में धूमधाम से मनाया गया. गुरुद्वारा के दीवान को फूल- गुब्बारे से सजाया गया.
इस अवसर पर धनबाद से आए रागी भाई देवेन्द्र सिंह निरोल ने गुरू राम दास जी के द्वारा रचित गुर राम दास राखो सरणाई, हम अवगुण भरे एक गुण नाहीं, अंम्रित छाड़ विखै विख खाई इक उत्तम पंथ सुनिओ गुर, संगत तिह मिलंत जमतास मिटाई का कीर्तन किया. भजन को सुन संगत निहाल हो गया और बोले सोनिहाल सतश्री अकाल के उदघोष से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया.
रागी भाई देवेन्द्र सिंह निरोल ने बताया कि गुरु राम दास जी ने 1577 में अमृत सरोवर नामक नये नगर की स्थापना की जो आगे चलकर अमृतसर के नाम से प्रसिद्ध हुआ.
प्रकाश पर्व पर गुरुद्वारा के प्रधान सेवक सरदार गुणवंत सिंह मोंगिया, सचिव नरेन्द्र सिंह सम्मी, सरदार चरणजीत सिंह, गुरभेज सिंह ,सरदार अमरजीत सिंह सलूजा, देवेन्द्र सिंह, राजेन्द्र सिंह, मनजीत सिंह समेत काफी संख्या में सिक्ख परिवार के महिला पुरूष व बच्चे समेत गणमान्य शामिल हुए. शबद कीर्तन के उपरांत अरदास किया गया और अटूट लंगर का आयोजन किया गया.
रिपोर्टः आशुतोष