पटनाः बिहार में अराजकता का माहौल है. जून महीना अराजकता के चरमोत्कर्ष पर पहुंच गया है. नियम कानून को ताक पर रखकर ट्रांसफर-पोस्टिंग और फंड की उगाही, बोली लगवा कर दी गई मनचाही पोस्टिंग. कई विभागों में ट्रांसफर पोस्टिंग का खेल हुआ और उस पर मुख्यमंत्री मौन है. उक्त बातें नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने प्रेस कांफ्रेंस में कही. उन्होंने कहा कि जूनियर अधिकारी को मदरसा बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया. ग्रामीण कार्य विभाग और ग्रामीण विकास विभाग के अंदर भी बड़ा खेल हुआ है. नियम के विरुद्ध विधानसभा के अंदर भी प्रोन्नति दी गई. उन्होंने कहा कि इन मामलों पर सरकार उच्च स्तरीय जांच कराए. सत्ता सेवा के लिए होता है, लेकिन मेवा के लिए भिड़ंत हो रही है.
कार्यशैली पर खड़े किए सवाल
एमएलसी सुनील सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अंगुलिमाल डाकू की जमात बैठाई गई है. खुद को संत कहने वाले उन को संरक्षित कर रहे हैं. इतने आरोपों के बावजूद मुख्यमंत्री मौन है. जनता जानना चाहती है अंगुलिमाल डाकू है कौन. सत्ताधारी दल के लोग सरकार पर सवाल उठा रहे हैं. राजनीतिक अस्थिरता ने प्रशासनिक अराजकता में बदल दिया है. शिक्षकों की नियुक्ति, नियोजित शिक्षक का मामला, वित्तरहित शिक्षकों के मामले पर मुख्यमंत्री क्यों मौन है.
सुनील सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने मंत्री इजरायल मंसूरी पर आप मौन बैठे हैं. चार्जशीटेड उपमुख्यमंत्री पर भी आप जवाब नहीं दे रहे हो मुख्यमंत्री. एफआईआर में नाम आने पर जीतन राम मांझी को छोड़ना अपना पद पड़ा था. कार्तिक सिंह को आपने हटाया लेकिन तेजस्वी यादव पर आप मौन क्यों हैं. घोर प्रशासनिक अराजकता के कारण अंगुलिमाल डाकू सरकार पर हावी है.
सुनील सिंह ने कहा कि बिहार की जनता का अपमान हो रहा है. 1 दिन भी ऐसी सरकार चलना बिहार की जनता का अपमान है. उन्होंने कहा कि जीरो टॉलरेंस वाली बात से हटे नहीं तो भ्रष्टाचारी को हटाए. नैतिकता बची है तो भ्रष्टाचारियों को सरकार से करें बाहर.