रांची: राज्य में मानसून की बारिश में अभी तक 38% की कमी होने की वजह से कृषि पर नकरात्मक प्रभाव पड़ा है। यह स्थिति अब भी 2022 की अवस्था की तरह है, जब 226 प्रखंडों को 22 जिलों में सूखा से प्रभावित घोषित किया गया था।
कृषि निदेशालय के अनुसार, इस वर्ष की स्थिति पिछले साल की तुलना में थोड़ी बेहतर है, लेकिन आच्छादन की रिपोर्ट भी चिंताजनक है। सिर्फ तीन जिलों में (साहिबगंज, गोड्डा और सिमडेगा) सामान्य वर्षापात हुई है, बाकी 21 जिलों में मानसूनी वर्षा की कमी के कारण खेती प्रभावित हुई है। चतरा में स्थिति सुखद है, जहां प्रायः सुखाड़ होने का परिदृश्य है।
मौसम केंद्र, रांची की ताजा मानसून रिपोर्ट के अनुसार, 01 जून 2023 से 16 अगस्त 2023 तक राज्य के 24 जिलों में से 21 जिलों में अभी भी सामान्य से कम वर्षापात हो रही है। चतरा में स्थिति बेहद गंभीर है, जहां सामान्य से 60% कम वर्षा हुई है। अन्य 20 जिलों में भी वर्षापात की स्थिति आशायेनक नहीं है।
16 अगस्त तक, राज्य में सामान्यतः 668.6 मिमी वर्षा की जगह 413.4 मिमी वर्षा हुई है। इसका मतलब है कि सामान्य से 38% कम वर्षापात हुआ है, और खेतों में धान की रोपनी के लिए पर्याप्त पानी नहीं जमा हो सका है।
16 अगस्त तक, केवल 6.79 लाख हेक्टेयर (38%) क्षेत्र में धान की रोपनी की जा सकी है, जबकि अन्य खरीफ फसलों जैसे दलहन, मक्का, तिलहन और मोटे अनाज का आच्छादन करने में सिर्फ 43% भूमि का उपयोग हुआ है।
झारखंड में कुल 28 लाख 27 हजार 460 हेक्टेयर क्षेत्र में इस वर्ष खरीफ फसल की खेती का लक्ष्य था। इसमें 18 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल लगाने का लक्ष्य था।
लेकिन इस वर्ष मानसून की देरी और शुरुआती दिनों में कम वर्षापात की वजह से खरीफ फसलों का आच्छादन सिर्फ 43% भूमि पर ही हो सका है, अर्थात् अभी तक 57% खेतों में आच्छादन बाकी है।