रांची: नये कोर्स और क्रेडिट फ्रेमवर्क के तहत चार वर्षीय स्नातक की पढ़ाई पूरी करनेवाले विद्यार्थियों को एक वर्ष का पीजी कोर्स पूरा करने का विकल्प मिलेगा.
वहीं तीन वर्षीय स्नातक की पढ़ाई करनेवाले विद्यार्थियों को दो वर्षीय पीजी की पढ़ाई पूरी करनी होगी. इतना ही नहीं, नये नियम के तहत अब विद्यार्थियों को पीजी में दाखिला लेने की आजादी रहेगी.
इसके तहत विद्यार्थी पीजी प्रोग्राम में आसानी से एक से दूसरे स्ट्रीम में भी जा सकेंगे. दो वर्ष के पीजी कोर्स में दाखिला लेनेवाले अगर एक वर्ष के बाद एग्जिट होना चाहते हैं, तो उन्हें पीजी डिप्लोमा का प्रमाण पत्र मिलेगा.
इतना ही नहीं, अगर किसी विद्यार्थी ने स्नातक में अर्थशास्त्र के साथ राजनीति विज्ञान और इतिहास जैसे मेजर विषय लिये हैं और दूसरे माइनर विषय का चुनाव किया है, तो इनमें से किसी भी विषय में वह पीजी कर सकता है. इससे बहुत सारे विषयों में पीजी कोर्स करने के विकल्प होंगे.
ड्राफ्ट तैयार यूजीसी ने स्नातक के बाद अब पीजी कोर्स के लिए पाठ्यक्रम व क्रेडिट फ्रेमवर्क से संबंधित ड्राफ्ट तैयार किया है.
साथ ही इस ड्राफ्ट के आधार पर शिक्षाविद, विवि, आम लोगों, शिक्षकों व विद्यार्थियों से 15 दिसंबर तक सुझाव मांगे हैं, ताकि इसके आधार पर ड्राफ्ट को उत्तीण के अंतिम रूप देकर इसे लागू किया जा सके.
यह ड्राफ्ट नवी शिक्षा नीति को ध्यान में रख कर तैयार किया गया है. विद्यार्थियों को अपनी रुचि का पाठ्यक्रम चुनने का अवसर मिलेगा. अप साइंस टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित में पांच वर्ष का इंटीग्रेटेट (स्नातक प्लस स्नातकोत्तर) कोर्स भी विवि शुरू कर सकेंगे.
इसके बाद विद्यार्थी एमइ, एमटेक कोर्स में भी दाखिला ले सकेंगे. नये फ्रेमवर्क में विद्यार्थी के पास ऑफलाइन, ऑलाइन और हाइब्रिड मोड में शिक्षा का विकल्प रहेगा. एक वर्ष के पीजी कोर्स में विद्यार्थी कोर्स वर्क या रिसर्च या दोनों का चुनाव कर सकते हैं.