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गया: महान स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिवीर योद्धा बिहार के लाल शहीद बैकुंठ शुक्ल की 90वां शहादत दिवस के अवसर पर शहीद बैकुण्ठ शुक्ल शहादत दिवस समारोह समिति के तत्वावधान में गया केंद्रीय कारा से पदयात्रा निकाली गई। पदयात्रा जेल रोड, गया कॉलेज, अनुग्रह पूरी कॉलोनी, आशा सिंह मोड़ होते चाणक्यपुरी स्थित शहीद बैकुंठ शुक्ल पार्क पहुंच कर सभा में तब्दील हो गया। सभा की अध्यक्षता सीपीआई के वरिष्ठ नेता अधिवक्ता मकसुद मंज़र ने किया तथा संचालन कार्यक्रम के संयोजक रंजीत कुमार ने की।
सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत के दौरान हुए सेंट्रल एसेंबली बम कांड को अंजाम देने वाले शहीदे आज़म भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव की फांसी की सजा में इकबालिया गवाह बने बिहार के बेतिया निवासी फणीनद्र नाथ घोष को मौत के नींद सुलाने वाले बिहार के वैशाली जिला के जलालपूर गांव निवासी क्रांति वीर बैकुंठ शुक्ल को ब्रिटिश हुकूमत ने 14 मई 1934 को फांसी के फंदे पर लटका दिया था।
शहीद बैकुण्ठ शुक्ल एवं उनकी पत्नी वीरांगना राधिका देवी दोनों में बचपन से ही देश को आजादी दिलाने की जुनून थी। दोनों ने सन 1931 में मुजफ्फरपुर के तिलक मैदान में तिरंगा झंडा फहराने के लिए भी दोनों को ब्रिटिश हुकूमत गिरफतार कर जेल भेज दिया था। नेताओं ने कहा कि गया केंद्रीय कारा का नामकरण शहीद बैकुंठ शुक्ल के नाम पर कराने हेतु गया जिला के सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठन, छात्र- नौजवान, तथा शहीद बैकुंठ शुक्ल स्मृति संस्थान द्वारा कई वर्षो से किया जा रहा है, लेकिन बिहार सरकार इस मुद्दे पर गूंगी बहरी बनी हुई है।
साथ ही गया के चाणक्यपुरी में शहीद बैकुण्ठ शुक्ल के नाम पर बने पार्क में भी शहीद बैकुंठ शुक्ल एवं वीरांगना राधिका देवी की आदमकद प्रतिमा भी स्थापित करने की मांग स्थानीय प्रशासन एवं राज्य सरकार अनसुनी कर रही है। गया केन्द्रीय कारा प्रशासन ने 2018 से ही लगातार स्थानीय लोगों के मांग पर इसका नामकरण शहीद बैकुंठ शुक्ल केन्द्रीय कारा कराने हेतु अग्रसारित किया था, जिस पर राज्य सरकार ने अभी तक निर्णय नहीं लिया है।
दूसरी ओर शहीद बैकुंठ शुक्ल पार्क में इनकी प्रतिमा के लिए दर्जनों बार स्थानीय प्रशासन द्वारा गया नगर निगम से अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा गया है, जो अभी तक नहीं दिया गया है। नेताओं ने कहा कि जब हम बिहारवासी शहीद बैकुंठ शुक्ल एवं वीरांगना राधिका देवी की बलिदान और त्याग की बात करते हैं तो हमलोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं, तो दूसरी ओर हमलोगों का सर शान से ऊंचा तथा गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है। लेकिन अफसोस इस बात का है कि राज्य सरकार इनके त्याग बलिदान के प्रचार प्रसार को अनसुनी कर देश के नौजवानों को महान स्वतंत्रता सेनानी के बारे में जानने से वंचित कराने का काम कर रही है।
आज इस अवसर पर उपस्थित सैकड़ों संघर्षशील साथियों ने गया केंद्रीय कारा का नामकरण शहीद बैकुंठ शुक्ल कराने एवं शहीद बैकुंठ शुक्ल पार्क में शहीद बैकुण्ठ शुक्ल एवं वीरांगना राधिका देवी की आदमकद प्रतिमा स्थापित कराने हेतु संघर्ष तेज करने का निर्णय लिया गया।
कार्यक्रम को गया नगर निगम की उपमहापौर चिंता देवी, बिहार सरकार के पूर्व मंत्री अवधेश कुमार सिंह, विजय कुमार मिट्ठू, पूर्व वार्ड पार्षद लालजी प्रसाद, बीआईटी के निदेशक अवधेश कुमार शर्मा, महेश शर्मा, मोहम्मद इकबाल हुसैन, गजेंद्र सिंह वार्ड पार्षद, परवेज आलम, शांति देवी, रिंकू देवी, कपिलदेव सिंह, रविन्द्र शर्मा, मोहम्मद याहीया, मुरारी शर्मा, बाबूलाल प्रसाद सिंह, विपिन बिहारी सिन्हा, सूदन सिंह, दामोदर गोस्वामी, अरविंद कुमार सिन्हा, गोपाल जी पटवा, राधे कांत शर्मा, शंभू सिंह आदि ने संबोधित किया।
गया से आशीष कुमार की रिपोर्ट
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