20 वर्ष पूरे होने पर नई पहलों का किया अनावरण
पटना: पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में, इन्फोपाइन द्वारा स्थापित वीएनपीएच फाउंडेशन ने ‘विश्व निशाने पर है: जलवायु संकट जागरूकता अभियान’ की 20 साल की यात्रा पूरी होने का उत्सव मनाया। इस अवसर पर कई नई पहल और इसकी वेबसाइट, लोगो, शुभंकर, सोशल मीडिया हैंडल, आधिकारिक बैनर और वॉयस ऑफ वीएनपीएच और वीएनपीएच एक्सपर्ट एक्सप्लेन्स व्याख्यान श्रृंखला जैसे कार्यक्रमों का भी अनावरण किया गया, जो जुड़ाव और पहुँच को बढ़ाने के लिए तैयार किए गए हैं।
इस कार्यक्रम में डॉ आई एस घुमन (लेफ्टिनेंट जनरल, सेवानिवृत्त), शशि नंदकोल्यार भावसे (पीसीसीएफ, सेवानिवृत्त); अच्युत बचल्ली के (संस्थापक, यूनिलॉग), विनय भाई पत्राले (अध्यक्ष भारत भारती), प्रो पी एस शुक्ला (कुलपति, एनईएचयू), अखिलेंद्र मिश्रा (अभिनेता और बेस्टसेलर लेखक) और लॉयड हेल्फर्टी (जलवायु कार्यकर्ता, कनाडा) शामिल हुए।
‘वीएनपीएच एक्सपर्ट एक्सप्लेंस – व्याख्यान श्रृंखला’ का उद्घाटन व्याख्यान डॉ राजेंद्र शेंदे, पूर्व निदेशक (यूएनईपी) और संस्थापक (ग्रीन टेरे फाउंडेशन) “यूनिवर्सिटी कैंपस: नेट जीरो के लिए जीवित प्रयोगशाला” शीर्षक से दिया। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों में शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के दृष्टिकोणों की व्याख्या की।
कार्यक्रम का सीधा प्रसारण अचीवर्स जंक्शन पर किया गया, जिसकी मेजबानी प्रसिद्ध भोजपुरी लेखक मनोज भावुक ने की। इस महत्वपूर्ण अवसर में इन्फोपाइन के सीईओ के पीयूष, वीएनपीएच फाउंडेशन की निदेशक डॉ के अंजलि, विदेश समन्वयक अजिताभ सिन्हा और संस्थापक व जलवायु अभ्यासी डॉ निखिल कांत, जो 2004 से इस अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं, जैसे व्यक्तित्वों ने भी भाग लिया।
इस अभियान का उद्देश्य कविता और संगीत की परिवर्तनकारी शक्ति के माध्यम से जलवायु संकट का समाधान करने के लिए लोगों को जागरूक करना है। यह कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर चले डेढ़ महीने लंबी जागरूकता गतिविधियों की श्रृंखला का समापन था, जो पृथ्वी दिवस की पूर्व संध्या पर अप्रैल 2024 में इसके संस्थागान के अनावरण के साथ शुरू हुई थी, जो एक संगीतमय आह्वान है जिसका उद्देश्य व्यक्तियों को #विश्वनिशानेपरहै अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेने और हमारे ग्रह को हमारे बच्चों के लिए टिकाऊ और उपयुक्त बनाए रखने के प्रयासों में योगदान करने के लिए प्रेरित करना है।
विश्व पर्यावरण दिवस: बिहार 2030 तक गंभीर जल संकट का सामना कर सकता है-पर्यावरणविद