नई दिल्ली : Supreme Court – कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों के नेमप्लेट लगाने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक बरकरार, 5 अगस्त को फिर होगी सुनवाई। यूपी में कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों, ढाबों और ठेलों पर नेम प्लेट लगाने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक बरकरार रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उत्तराखंड और एमपी सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया है और उसके बाद याचिकाकर्ता को जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी। तब तक सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। यूपी सरकार के इस संबंधी आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने बीते 22 जुलाई को अंतरिम रोक लगाई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की यूपी सरकार की दलीलें
शीर्ष अदालत ने तब अपने अंतरिम आदेश में कहा था कि दुकानदारों को पहचान बताने की जरूरत नहीं होगी। यूपी सरकार ने नेम प्लेट आदेश के खिलाफ दायर याचिका का विरोध किया था और अदालत से याचिकाओं को खारिज करने की अपील की थी। इससे पहले यूपी सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देते हुए अपने आदेश का बचाव किया था। सरकार ने कहा था कि उसने नेमप्लेट का आदेश इसलिए दिया था कि राज्य में शांति बनी रहे। हालांकि, कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया। यूपी सरकार का कहना है कि कावंड़ रूट पर खाने पीने को लेकर गलतफहमी पहले भी झगड़े और तनाव की वजह बनती रही है। ऐसी कोई अप्रिय स्थिति न बने, नंगे पैर पवित्र जल ले जा रहे करोड़ो कावंड़ियों की धार्मिक भावना गलती से भी आहत न हो इसलिए दुकान के बाहर नाम लिखने के निर्देश जारी किए गए थे। कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में योगी सरकार ने कहा कि कानून व्यवस्था के लिए एहतियाती कदम उठाया। अनुच्छेद 71 के तहत सौहार्द कायम रखने के लिए यह फैसला लिया गया।
यूपी सरकार कांवड़ रूट के भरमाने वाले ढाबों का सचित्र ब्योरा पेश किया
इससे पहले यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में अपनी दलीलों के समर्थन में कावंड़ मार्ग रूट के कुछ खाने पीने की दुकानों की तस्वीरें पेश की थी। इसी क्रम में कांवड़ रूट पर नेमप्लेट मामले में योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कुछ ऐसे नाम गिनाए, जिसमें दुकान का नाम तो पंडित जी का ढाबा है लेकिन उसका मालिक मुसलमान है। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में अपनी दलीलों के समर्थन में कावंड़ मार्ग रूट के कुछ खाने पीने की दुकानों के फोटोग्राफ भी संलग्न किया। मसलन राजा राम भोज फैमिली टूरिस्ट ढाबा के नाम से ढाबा चलाने वाले दुकानदार का नाम वसीम है तो राजस्थानी खालसा ढाबे के मालिक का नाम फुरकान है और पंडित जी वैष्णो ढाबे के मालिक सनव्वर राठौड़ हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले पर यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार से मांगा था जवाब
कांवड़ा यात्रा मार्ग में नेम प्लेट लगाने का आदेश सबसे पहले मुजफ्फरनगर से शुरू हुआ था। बाद में योगी सरकार ने यह नियम पूरे प्रदेश में लागू कर दिया था, जिसके बाद विपक्षी दलों ने इसका जमकर विरोध किया। यूपी सरकार के आदेश के खिलाफ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नामक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर 22 जुलाई को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अंतरिम रोक लगा थी दी। शीर्ष अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में कहा था कि दुकानदारों को पहचान बताने की जरूरत नहीं होगी और केवल खाने के प्रकार बताने होंगे। कोर्ट ने कहा था कि कांवड़ियों को वेज खाना मिले और साफ सफाई रहे साथ ही खाना शाकाहारी है या मांसाहारी ये बताना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से 26 जुलाई तक जवाब मांगा था और राज्यों के जवाब देने तक इस आदेश पर रोक लगा दी थी। नेम प्लेट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था। उसी पर जवाब देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि यह फैसला सौहार्द और शांति बनाए रखने के लिए लिया गया था।