डिजीटल डेस्क : Breaking – सुप्रीम कोर्ट की ममता सरकार को फटकार – पोस्टमार्टम से पहले कैसे बता दिया आत्महत्या? सीबीआई और कोलकाता पुलिस की रिपोर्ट में अंतर क्यों? कोलकाता पुलिस की हरकत संदेह के घेरों में..। आरजीकर अस्पलात में मेडिकल छात्रा की गत 9 अगस्त के तड़के रेप और मर्डर के मामले में गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई करने के क्रम में पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ ममता बनर्जी की सरकार को जमकर फटकार लगाई।
बंगाल सरकार और कोलकाता पुलिस की कारगुजारियों का जिक्र करते हुए सवाल दागा कि कैसे बिना पोस्टमार्टम हुए ही मेडिकल छात्रा की मौत को आत्महत्या बता दिया गया। सीबीआई ने जो स्टेटस रिपोर्ट पेश की है, उसी घटना को लेकर कोलकाता पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट काफी अलग है तो ऐसा कैसे ?
क्यों ना पूरे मामले में कोलकाता पुलिस और आरजी कर अस्पताल प्रशासन के साथ ही राज्य सरकार की रही भूमिका पर संदेह क्यों ना किया जाए?
कपिल सिब्बल की अगुवाई वाली वकीलों की टीम नहीं दे पाई सुप्रीम सवालों का संतोषजनक जवाब
सुप्रीम कोर्ट के तल्ख तेवरों और तीखे सवालों पर बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की अगुवाई वाली 21 अधिवक्ताओं की टीम को कोई संतोषजनक जवाब नहीं सूझा एवं जैसे-तैसे पूरे मामले पर अपनी सफाई देना जारी रखा।
इससे पहले मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने अप्राकृतिक मौत को लेकर विस्तृत ब्योरा तलब किया। कोर्ट ने पूछा कि रात 11.30 बजे एफआईआर क्यों लिखे जाने की प्रक्रिया शुरू हुई? उसी समय अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया गया था।
कोर्ट ने कहा लगता है कि कि केस नंबर बाद में डाला गया है, क्यों सही है ना? अप्राकृतिक मौत की एंट्री सुबह 10.10 बजे की गई थी ना? इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार और कोलकाता पुलिस से केस डायरी की हार्ड कॉपी मांगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा – कोलकाता पुलिस के काम का तरीका ठीक नहीं, संबंधित एएसपी की भूमिका संदिग्ध
इसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि पूरे मामले में आरंभिक चरण में ही कोलकाता पुलिस के संबंधित एएसपी का आचरण बेहद संदिग्ध है। रात 11.30 बजे से 11.45 बजे के बीच अप्राकृतिक मौत केस का केस दर्ज किया गया जबकि केस डायरी में घटना की एंट्री दिन के 10.10 बजे की है।
मृत मेडिकल छात्रा के शव के पास आपत्तिजनक चीजें मिलीं थीं, उस पर क्या कहना चाहेगी राज्य सरकार और कोलकाता पुलिस? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि पंचनामा कब किया गया? इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि शाम 4.20 के बाद हुआ।
फिर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने तल्ख लहजे में कहा कि इस मामले में कोलकाता पुलिस के काम का तरीका सही नहीं है, पुलिस ने कानून के तहत काम नहीं किया और उसकी हरकत संदेह के घेरे में हैं। इस बंगाल सरकार के वकीलों की टीम की अगुवाई कर रहे कपिलसिब्बल ने कहा कि आपका संदेह उचित है, कृपया मजिस्ट्रेट रिपोर्ट को देखा जाए।
जस्टिस पादरीवाला बोले – 30 साल में ऐसा केस नहीं देखा, ये केस चौंकाने वाला है
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ में शामिल जस्टिस पारदीवाला ने सीबीआई की महिला अधिकारी संयुक्त निदेशक से पूछा कि आपके दस्तावेजों और कोलकाता पुलिस के दस्तावेजों में फर्क क्यों है?
सीबीआई की तरफ से पेश सॉलीशिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोलकाता में मौके पर साक्ष्यों और घटनास्थल से छेड़छाड़ हुई एवं पूरे केस की लीपापोती करने की कोशिश की गई। अंतिम संस्कार के बाद एफआईआर दर्ज हुई। पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन उदासीन रहा एवं वारदात पर पर्दा डालने की कोशिश की गई।
घटनास्थल को संरक्षित या सील नहीं किया गया। घटना की सूचना परिजनों को देर से दी गई एवं परिवार को हत्या की नहीं सुसाइड की बात कही गई।
इसी पर सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई। पूछा कि घटनास्थल को संरक्षित या सील क्यों नहीं किया गया? एफआईआर देर से दर्ज क्यों की गई? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच के नियमों की अनदेखी की गई है और पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन ने कोई अपेक्षित एक्शन नहीं लिया।
इसी क्रम में कोलकाता पुलिस और बंगाल सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सीबीआई और राज्य के रिकॉर्डों में अंतर क्यों है?

लंच ब्रेक के बाद अपराह्न 2 बजे के बाद फिर होगी मामले की सुप्रीम सुनवाई
गहमागहमी भरे जारी बहस को दोपहर में विराम देते हुए तीन सदस्यीय पीठ ने लंच ब्रेक के बाद दोबारा मामले की सुनवाई शुरू करने की बात कही।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ के सामने सुनवाई के दौरान गुरूवार को सीबीआई की ओर से पेश सॉलिशिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ‘सबसे ताज्जुब में डालने वाली बात यह कि मृत मेडिकल छात्रा के शव का अंतिम संस्कार करवा दिए जाने के बाद पूरी घटना के संबंध में कोलकाता पुलिस ने रात 11.45 बजे एफआईआर लिखी।
पहले मृतका के परिवार वालों को बताया गया कि उसने आत्महत्या की है। बाद में उसकी संदिग्ध हाल में मौत गई। फिर हंगामा बढ़ा तो वहां वीडियोग्राफी कराते हुए पोस्टमार्टम भी करवाया गया’।
इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने बंगाल सरकार और कोलकाता पुलिस से मृत छात्रा के हुए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट मांगी और लगातार पूरे मामले पर बंगाल सरकार और कोलकाता पुलिस से कई सवाल दाग दिए।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘पूरे मामले में एक बात खटक रही है। कोलकाता पुलिस के टाला थाना को इस पूरे घटना के बारे मे गत 9 अगस्त की सुबह 10.10 मिनट पर आरोप या आवेदन मिला था तो फिर रात के 11.45 पर एफआईआर क्यों लिखी गई? इतनी देर वहां क्या हुआ?’
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