रांची: झारखंड के आदिवासी समाज के लिए एक बड़ी क्षति सामने आई है, भगवान बिरसा मुंडा के वंशज मंगल मुंडा का निधन हो गया। वे 29 नवंबर 2024 की रात को रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) में इलाज के दौरान अपनी अंतिम सांस ली। मंगल मुंडा सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिसके बाद उन्हें रिम्स में भर्ती कराया गया था। उनके निधन की सूचना उनके छोटे भाई कानू मुंडा ने फेसबुक पर दी, जिसमें उन्होंने दुख व्यक्त करते हुए बताया कि मंगल मुंडा लगभग रात 12:30 बजे हमारे बीच नहीं रहे।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी मंगल मुंडा के निधन पर गहरी शोक संवेदनाएं व्यक्त की। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ पर लिखा, “रिम्स में इलाजरत भगवान बिरसा मुंडा के वंशज मंगल मुंडा के निधन की खबर से अत्यंत दुखी हूं। दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर शोकाकुल परिवारजनों को दुःख सहन करने की शक्ति दें।”
हालांकि, मंगल मुंडा के निधन के साथ ही झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। दुर्घटना के बाद इलाज में देरी और आवश्यक चिकित्सा संसाधनों की कमी ने परिजनों को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। परिजनों ने आरोप लगाया कि दुर्घटना के बाद मंगल मुंडा को समय पर इलाज नहीं मिला। गंभीर स्थिति में भी उन्हें ट्रामा सेंटर में बेड नहीं मिल पाया और इलाज में 10 घंटे की देरी हुई। इसके अलावा, परिजनों को ₹15,000 की दवाइयाँ भी खुद खरीदनी पड़ीं।
यह घटना झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था की संवेदनहीनता को उजागर करती है और यह सवाल खड़ा करती है कि क्या राज्य सरकार और उसकी व्यवस्था में गरीब आदिवासी समुदाय के लिए कोई जगह बची है? यह सिर्फ मंगल मुंडा के परिवार का सवाल नहीं है, बल्कि झारखंड के हर गरीब आदिवासी का सवाल है।