Hazaribagh : बिहार के मधुबनी जिला का विश्व प्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग अब हजारीबाग में भी दिखने लगा है। इस कला को हजारीबाग के लोग भी पसंद कर रहे हैं। हजारीबाग सोहराय और कोहबर के लिए जाना जाता है। सोहराय कोहबर के दुनिया में मिथिला पेंटिंग को भी लोग पसंद कर रहे हैं।
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हजारीबाग की पहचान पूरे देश भर में सोहराय और कोहबर कला से हो रही है। यही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को सोहराय पेंटिंग भेंट की। इस कला को एक नया आयाम भी मिला। अब हजारीबाग में मिथिला पेंटिंग की भी डिमांड बढ़ रही है। कलाकार मिथिला पेंटिंग के जरिए अपनी पहचान बनाने को आतुर दिख रहे हैं।
Hazaribagh : आर्ट गैलरी में अपना सुंदरता बिखेर रही मिथिला पेंटिंग
ऐसा ही उस वक्त दिखा जब हजारीबाग में एक कार्यक्रम के दौरान मिथिला पेंटिंग आर्ट गैलरी में अपना सुंदरता बिखेर रही थी।मिथिला पेंटिंग के बारे में रश्मि झा ने कहा कि बिहार में मिथिला पेंटिंग का काफी डिमांड है। अब झारखण्ड में भी इसकी काफी मांग बढ़ने लगी है। उन्होंने कहा कि मिथिला पेंटिंग को बनाने में काफी मेहनत होता है और काफी बारीकी से इसका काम होता है।
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लोग इसको काफी पसंद करते हैं। इसलिए लोगों को इसकी ज्यादा डिमांड है। रश्मि ने बताया कि हम मिथिला पेंटिंग बनाकर रोजगार भी कर रहे हैं। मधुबनी चित्रकला,पारंपरिक रुप से मधुबनी शहर के आसपास के गांवों की महिलाओं द्वारा की जाती थी। इसे मिथिला पेंटिंग भी कहा जाता है। यह कला नेपाल में तराई क्षेत्र के आस पास के भागों तक विस्तृत है।
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मधुबनी चित्रों की उत्पत्ति रामायण काल से मानी जाती है। जब मिथिला के राजा ने अपने राज्य के लोगों को सीता और राम के विवाह के मौके पर अपने घरों की दीवारों और फर्श को रंगने के लिए कहा था। लोगों का मानना था कि ऐसा करने से देवता प्रसन्न होते हैं। अधिकतर महिलाओं द्वारा मधुबनी चित्रकला के कौशल को पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित किया गया है।
हजारीबाग से शशांक शेखर की रिपोर्ट—