पटना: राजधानी Patna में बिहार विधानसभा में आयोजित अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन में आज दूसरे दिन संविधान की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर संसद और राज्य विधायी निकायों का योगदान सम्मेलन विषय पर चर्चा की गई। इसके बाद राज्यसबा के उपसभापति हरिवंश, विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह, विधान्षा उपाध्यक्ष नरेंद्र नारायण यादव ने एक प्रेस कांफ्रेंस की। प्रेस कांफ्रेंस में लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि दो दिनों के सम्मेलन में देश भर के पीठासीन अधिकारियों ने भाग लिया।
दो दिनों के सम्मेलन में देश भर के पीठासीन अधिकारियों ने अपना अनुभव साझा किया और इसके साथ ही यहां पांच संकल्प लिया गया। हमारा पहला संकल्प संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धांजली अर्पित करना है। दूसरा संकल्प संविधान में नित मूल्यों और आदर्शों के अनुरूप सदन का संचालन करना, तीसरा संकल्प विधायी संस्थाओं में बाधारहित व्यवस्थित चर्चा एवं संवाद, चौथा संकल्प संविधान के 75 वर्ष पूरा होने पर पूरे देश में लोकतान्त्रिक संस्थाएं, समाज के अन्य स्टेक होल्डर और विद्यार्थियों के बीच में संविधान के मूल्यों और आदर्शों के प्रति गरीब प्रतिवक्ता के लिए कार्यक्रम आयोजित करना।
पांचवां संकल्प टेक्नोलॉजी और एआई के उपयोग से प्रभावी सेवाएं दे कर सदन की विधायी संस्थाओं और माननीयों के बेहतर संवाद चर्चा के क्षमता निर्माण है। पांच संकल्पों को लेकर हम आगे बढ़ेंगे। भारत की संस्थान जो नई चुनौतियाँ हैं हमने उस पर भी चर्चा की। सभी विधायी संस्था के पीठासीन अधिकारी अपने राज्यों में राजनीतिक दलों से चर्चा संवाद का केंद्र बना सकें।
संसदीय समितियां की जिम्मेवारी बढाई जाएगी क्योंकि इनकी जिम्मेवारी शासन में पारदर्शिता लाने की और प्रशासन में ईमानदारी लाने की भी जिम्मेवारी है। जितनी भी संसदीय समितियों का कार्यक्रम श्रेष्ठ होगा उतनी ही हम आमजनों की उम्मीदों पर खड़ा उतर सकेंगे। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ने गुजरात में प्रधानमंत्री के द्वारा एक राष्ट्र एक संसदीय प्लेटफ़ॉर्म हो। हमारी कोशिश है कि हम 2025 के अंत सभी विधायी संस्थाओं को एक मंच पर ला सकें। इसके लिए हम सभी विधायी संस्थाओं को मदद करेंगे।
सभी विधायी संस्थाओं की जितनी भी डिबेट है सभी को उनकी मूलभाषा में डिजिटलाईजेशन किया जायेगा। देश के विधायी संस्थाओं को देश की जनता देख सके और आपस में विधायी संस्थाएं आपस में चर्चा कर सकें। सभी राज्यों के लोकतान्त्रिक संस्था अपने राज्यों में प्रशिक्षण की जरुर करवाए। विधायी संस्थाओं में जनता की भागीदारी हो और देश के विकास में जनप्रतिनिधियों के विचार भी लिए जाएं। भारत के संसद की प्रशिक्षण संस्था प्राइड प्रशिक्षण संस्थान विश्व की सबसे अच्छी प्रशिक्षण संस्था है। अब तक कम से कम 100 देशों के प्रतिनिधि और अधिकारी प्रशिक्षण ले चुके हैं।
आने वाले समय में राज्य के विधानसभाओं में भी विधानसभा और प्राइड संस्थान के साथ मिल कर और बेहतर बनायेंगे। राज्य की विधायी संस्थाएं जिन अपेक्षाओं से बन रही थी हमारी कोशिश है कि राज्य की विधायी संस्थाएं, लोकसभा और राज्यसभा जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप काम करें। उन्होंने कहा कि मुझे ख़ुशी है कि बिहार विधानसभा ने भी नए आविष्कार किये और नए निर्वाह का उद्घाटन किया और डिजिटल लाइब्रेरी की तरफ बढ़ रहे हैं।
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पटना से महीप राज की रिपोर्ट
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