रांची: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में सहायक प्रोफेसर नियुक्ति को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद अदालत ने प्रार्थी का तत्काल साक्षात्कार लेने का निर्देश दिया. कोर्ट के आदेश पर जेपीएससी की ओर से मंगलवार को साक्षात्कार लिया गया. अदालत ने कहा कि उक्त अभ्यर्थी का परीक्षा परिणाम जारी नहीं किया जाएगा और जेपीएससी एक पद रिक्त रखते हुए परिणाम जारी करेगी. अदालत ने यूजीसी को प्रतिवादी बनाते हुए सभी दस्तावेज उसे भी सौंपने का निर्देश दिया। मामले में अगली सुनवाई दो फरवरी को होगी. प्रार्थी दिनेश कुमार मुर्मू की ओर से पक्ष रखने वाले अधिवक्ता राजेश कुमार ने कोर्ट को बताया कि विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसर की बैकलॉग भर्ती के लिए वर्ष 2018 में जेपीएससी ने विज्ञापन जारी किया था. प्रार्थी ने भी आवेदन दिया था. उसे शैक्षणिक योग्यता के आधार पर कुल 61.05 अंक प्राप्त हुआ था. इसकी जानकारी जेपीएससी के वेबसाइट पर दी गई. इस दौरान जेपीएससी सभी अभ्यर्थियों से आपत्ति मांगी. लेकिन इसके बाद प्रार्थी को साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया गया, जबकि एसटी कैटेगरी के उस अभ्यर्थी से ज्यादा अंक प्राप्त किया है, जिसे साक्षात्कार में बुलाया गया था. इस दौरान जेपीएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि अभ्यर्थी के अंक को संशोधित किया गया, जिसके कारण एसटी कैटेगरी के अंतिम उम्मीदवार से प्रार्थी का अंक कम हो गया है. इसलिए उन्हें साक्षात्कार में नहीं बुलाया गया है. ऐसा इसलिए किया गया है कि अभ्यर्थी का रिसर्च पेपर उन जर्नल में छपा है, जिसे यूजीसी ने मान्यता नहीं दी है. इसके बाद प्रार्थी के अधिवक्ता ने कहा कि जेपीएससी की ओर से वर्ष 2019 में यूजीसी की जर्नल की सूची दी गई, जबकि प्रार्थी का वर्ष 2018 में यूजीसी से मान्यता प्राप्त जर्नल में रिसर्च प्रकाशित हुआ है. इसके बाद अदालत ने तत्काल प्रार्थी को साक्षात्कार में शामिल होने का निर्देश दिया.
रिपोर्ट- आशीष