Monday, September 29, 2025

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RBI के रेपो रेट में कटौती से आम आदमी को कई तरह से मिलेगी राहत, जानें…

डिजिटल डेस्क : RBI के रेपो रेट में कटौती से आम आदमी को कई तरह से मिलेगी राहत, जानें…। RBI यानी भारतीय रिजर्व बैंक  की मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने देश के करोड़ों होम लोन बायर्स को बड़ी राहत देते हुए ब्याज दरों में कटौती की है जिसका आम लोगों को कई प्रकार से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से फायदा होने वाला है। यह फायदा आर्थिक स्तर पर सीधे तौर पर कहीं न कहीं से राहत देने वाला होगा।

RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने नीतिगत ब्याज दर या रेपो रेट में 5 साल बाद कटौती का फैसला लिया है। RBI की MPC ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की है। इसके बाद रेपो दरें 6.50 फीसदी से कम होकर 6.25 फीसदी हो गई है।

MPC की तीन दिवसीय बैठक के बाद रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती की गई है। इससे EMI के बोझ में आम लोगों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है।

 होम लोन, पसर्नल लोन की EMI में मिलेगी राहत…

RBI की MPC की रेपो रेट में कटौती की घोषणा के बाद आम आदमी को होम लोन, वाहन, पसर्नल लोन की ईएमआई में राहत मिल सकती है। सस्ते कर्ज से लोगों पर से ईएमआई का बोझ कम होने की उम्मीदें बढ़ी हैं। यदि किसी व्यक्ति ने 50 लाख रुपये का लोन 8.5 प्रतिशत की ब्याज दर से 20 साल के लिए लिया है तो आरबीआई की ओर से 0.25 प्रतिशत की कटौती की घोषणा के बाद उसकी ईएमआई कम हो जाएगी।

RBI सांकेतिक चित्र
सांकेतिक चित्र

पुराने ब्याज दर  8.5 प्रतिशत पर उक्त व्यक्ति को 43,391 रुपये की ईएमआई देनी पड़ती है, और ब्याज दरों पर कटौती के बाद नई ब्याज 8.25 प्रतिशत हो जाएगी जिससे उसकी ईएमआई घटकर 42,603 रुपये हो जाएगी। ऐसे में उसे एक महीने में 788 रुपये की बचत होगी। सालाना आधार यह बचत करीब 9,456 रुपये की होगी।

यदि कार लोन की बात करें तो यदि किसी व्यक्ति ने 5 लाख रुपये का कार लोन 12 प्रतिशत की ब्याज दर पर लिया है तो उसे वर्तमान में 11,282 रुपये की ईएमआई देनी पड़ रही है। अब रेपो रेट में कटौती के बाद अगर बैंक ब्याज दरों को 0.25% तक घटाते हैं तो कार लोन की नई ईएमआई 11,149 रुपये होगी। इससे ग्राहक को 133 रुपये महीने में और 1,596 रुपये साल में बचेंगे।

आरबीआई गवर्नर की फाइल फोटो
आरबीआई गवर्नर की फाइल फोटो

मौजूदा वित्त वर्ष में महंगाई 4.8 फीसदी रहने का अनुमान

इस बीच महंगाई को लेकर भी RBI ने अपने अनुमान जारी किए हैं। मौजूदा वित्त वर्ष में महंगाई 4.8 फीसदी रहने का अनुमान है। वैसे चौथी ​तिमाही के महंगाई में 10 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया गया है जिसे पिछले के 4.4 फीसदी से बढ़ाकर 4.5 फीसदी कर दिया है।

वहीं वित्त वर्ष 2026 में महंगाई 4.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है जबकि पहली तिमाही में 4.6 फीसदी रह सकती है। इससे पहले इसमें 4.5 फीसदी का रहने अनुमान जताया जा रहा है। दूसरी तिमाही में 4 फीसदी, तीसरी तिमाही में 3.8 फीसदी और चौथी तिमाही में 4.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया जा रहा है।

इकोनॉमी रिसर्च संस्था पीएल कैपिटल ग्रुप के अर्थशास्त्री अर्श मोगरे के अनुसार RBI की MPC की ओर से 25 आधार अंकों की कटौती की गुंजाइश थी इसलिए यह फैसला लिया गया।

इस पर बीएचयू के कृषि अर्थशास्त्री प्रो. वीरेंद्र कमलवंशी का कहना है कि – ‘…इसका पहला कारण मुद्रास्फीति का नियंत्रण में रहना है। दिसंबर 2024 में खुदरा महंगाई दर यानी सीपीआई 5.2 प्रतिशत रही इसके आने वाले महीनों में 4.5 प्रतिशत से 4.7 प्रतिशत तक गिरने की उम्मीद है।

…हालांकि, डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट के कारण आयात से जुड़ी मुद्रास्फीति से जोखिम बना हुआ है। दूसरा कारण विकास की गति धीमी है, जिसके कारण आरबीआई को रेपो रेट में कटौती का फैसला लेना पड़ा।

…वित्त वर्ष 25 में जीडीपी की अनुमानित दर 6.4% जो जो वित्त वर्ष 24 के 8.2 प्रतिशतसे काफी कम है ऐसे में केंद्रीय बैंक की ओर से रेपो रेट पर फैसला लिया जाना जरूरी हो गया था।। तीसरा कारण लिक्विडिटी यानी तरलता कम थी।’

आरबीआई गवर्नर की फाइल फोटो
आरबीआई गवर्नर की फाइल फोटो

रेपो रेट में कटौती से आम लोगों को मिलने वाली राहत के तरीके जानें…

मशहूर अर्थशास्त्री कौ लद्दाख विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो. साकेत कुशवाहा का कहना है कि-‘…सरकार इस समय अपने खर्चों यानी अपना पूंजीगत व्यय कम करके आम लोगों के हाथों में पैसा दे रही है, जिससे घरेलू खपत को बढ़ाने के साथ धीमी होती अर्थव्यव्स्था को गति मांग को बढ़ाया जा सके।

….यही कारण है कि बजट 2025-26 में सरकार ने आयकर से छूट के दायरे को बढ़ाकर 12 लाख रुपये करने का ऐलान किया। एक लंबे समय के बाद ब्याज दरों में कटौती की गई है। जिससे आम आदमी को होम लोन, पसर्नल लोन की ईएमआई में राहत मिल सकती है।

…ब्याज दरों में कटौती वजह से सस्ते कर्ज से लोगों पर से ईएमआई का बोझ कम होगा। लेकिन इस कटौती के बाद बैंक अपनी लेडिंग रेट पर किस तरह की कटौती करते हैं यह उन पर निर्भर करेगा।

…प्रत्येक बैंक पूरी कटौती नहीं देती है, बैंक अपनी वित्तीय स्थिति को देखते हुए अपनी ब्याद दरों को कम करती है, इसे भी ध्यान में रखना होगा। हालांकि यह कटौती खपत को बढ़ावा देगी।’

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