Chamoli Avalanche से उत्तराखंड में बजी ग्लेशियर झीलों संबंधी खतरे की घंटी से केंद्र सरकार अलर्ट

डिजिटल डेस्क : Chamoli Avalanche से उत्तराखंड में बजी ग्लेशियर झीलों संबंधी खतरे की घंटी से केंद्र सरकार अलर्ट। बीते शुक्रवार को हुए Chamoli Avalanche में फंसे सभी मजदूरों को अभी पूरी तरह नहीं निकाला जा सका है और रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।

इस बीच Chamoli Avalanche ने केंद्र सरकार के लिए उत्तराखंड में ग्लेशियर झीलों को लेकर खतरे की घंटी बजा दी है। Chamoli Avalanche के तुरंत बाद से ही उत्तराखंड में अब 13 ग्लेशियर झीलें के खतरे का आकलन करना शुरू कर दिया गया है।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने इन झीलों को चिह्नित किया है जिनमें से 5 को उच्च जोखिम वाला माना गया है। इनमें से चमोली जिले की वसुधारा झील का अध्ययन हो चुका है और अब पिथौरागढ़ की 4 झीलों का अध्ययन किया जाना है।

चुनौतीूपूर्ण हैं उत्तराखंड की ग्लेशियर झीलें…

आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में चमोली जिले के माणा के पास हुए Chamoli Avalanche की घटना के बाद उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित ग्लेशियर झीलों का विषय भी चर्चा के केंद्र में हैं। ये झीलें भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं हैं।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने राज्य में जोखिम की दृष्टि से 13 ग्लेशियर झीलें चिह्नित की हैं। प्रथम चरण में इनमें से 5 उच्च जोखिम वाली झीलों के अध्ययन का निर्णय लिया गया है। चमोली जिले की वसुधारा झील का अध्ययन हो चुका है और इसके आंकड़ों का विश्लेषण चल रहा है।

अब उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण पिथौरागढ़ जिले की उच्च जोखिम वाली 4 झीलों का अध्ययन शुरू करेगा।  जून 2013 की केदारनाथ त्रासदी के लिए चौराबाड़ी ग्लेशियर में बनी झील के टूटने को बड़ी वजह माना गया था। इसके बाद से राज्य के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित ग्लेशियर झीलों की ओर तंत्र का ध्यान गया।

चमोली में रेस्क्यू ऑपरेशन में बचाए गए एक मजदूर को सुरक्षित ठिकाने ले जाते जवान।
चमोली में रेस्क्यू ऑपरेशन में बचाए गए एक मजदूर को सुरक्षित ठिकाने ले जाते जवान।

भविष्य में बड़े खतरे का सबब बनने वाली झीलों को जानें…

इसी क्रम में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने हिमालयी क्षेत्र में ऐसी ग्लेशियर झीलें चिह्नित की, जो भविष्य में बड़े खतरे का सबब बन सकती हैं।  इनमें उत्तराखंड के चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, पिथौरागढ़ व टिहरी जिलों के अंतर्गत आने वाली 13 ग्लेशियर झीलें भी शामिल हैं।

इनमें चमोली की एक और पिथौरागढ़ जिले की चार झीलों को उच्च जोखिम वाली श्रेणी में रखा गया है।  सरकार ने प्रथम चरण में उच्च जोखिम वाली पांच झीलों की स्थिति का अध्ययन कराने का निर्णय लिया है। इनमें से चमोली जिले की वसुधारा झील का अध्ययन विशेषज्ञों की टीम कर चुकी है।

15 सदस्यीय इस टीम में उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, उत्तराखंड भूस्खलन प्रबंधन एवं न्यूनीकरण केंद्र, वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान, आइटीबीपी, एनडीआरएफ व एसडीआरएफ के विशेषज्ञ शामिल थे।

चमोली में ग्लेशियर फटने वाले स्थान पर जमी बर्फ की मोटी परत में फंसे मजदूर।
चमोली में ग्लेशियर फटने वाले स्थान पर जमी बर्फ की मोटी परत में फंसे मजदूर।

यह झील 38 से 40 मीटर गहरी और 900 मीटर लंबी व 600 मीटर चौड़ी हे। फिलहाल इसमें दो स्थानों से पानी निकल रहा है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण आंकड़ों के अध्ययन में जुटा है। अब पिथौरागढ़ की झीलों के अध्ययन के लिए विशेषज्ञों की टीम भेजी जाएगी।

अध्ययन के आधार पर इन झीलों की निगरानी की जाएगी। उत्तराखंड के लिए बड़े खतरे का सबब बनी ग्लेशियर झीलों में चमोली  के वसुधारा व तीन अन्य के साथ ही उत्तरकाशी का केदार ताल, बागेश्वर का नागकुंड, टिहरी का मसूरी ताल एवं पिथौरागढ़ के मबांग, पियुग्रू व चार अन्य झील शामिल हैं।

चमोली में रेस्क्यू किए गए मजदूर का हाल पूछते सीएम धामी।
चमोली में रेस्क्यू किए गए मजदूर का हाल पूछते सीएम धामी।

Chamoli Avalanche में फंसे 47 मजदूर बचाए गए, 8 अभी लापता

भारत-चीन सीमा पर स्थित सीमांत जिले चमोली के बद्रीनाथ में सीमांत माणा गांव के पास बीते शुक्रवार को हुए भीषण हिमस्खलन में फंसे और गुम हुए 55 मजदूरों में से 47 को रेस्क्यू ऑपरेशन में बचा लिया गया है। बताया जा रहा है कि 8 मजदूर अब भी दबे हुए हैं।
उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन और पुनर्वास सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि बद्रीनाथ धाम से 6 किलोमीटर आगे हुई भीषण हिमस्खलन की घटना में पहले 57 मजदूरों के फंसे होने की जानकारी मिली थी, लेकिन अब स्थानीय प्रशासन ने बताया है कि दो मजदूरों के छुट्टी पर होने के कारण मौके पर 55 मजदूर थे।
PM Modi ने CM पुष्कर सिंह धामी से फ़ोन पर बात कर जनपद चमोली के माणा में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी ली। साथ ही PM Modi ने प्रदेश में हो रही बारिश और हिमपात की स्थिति पर भी विस्तृत जानकारी ली।इससे पहले शनिवार को आज मौसम खुलते ही माणा में रेस्क्यू शुरू किया गया। ज्योतिर्मठ से पहला हेली कुछ जवानों को लेकर रवाना हुआ। अब तक मिली जानकारी के अनुसार सुबह भारतीय सेना ने 14 और लोगों को बचाया है। कुछ को गंभीर चोटें आई हैं, जिनका इलाज चल रहा है।

चमोली में हिमस्खलन के बाद रेस्क्यू का दृश्य
चमोली में हिमस्खलन के बाद रेस्क्यू का दृश्य

बर्फ में फंसे एक और घायल मजदूर को ज्योर्तिमठ लाया गया है। अब 8 मजदूरों की तलाश जारी है। अब तक 47 मजदूर बचाए जा चुके हैं। बचाए गए सभी मजदूरों की हालत चिंताजनक बताई गई है। सभी का वरिष्ठ चिकित्सकों की टीम में गहन चिकित्सा जारी है।

इस बीच भारत-चीन सीमा पर स्थित सीमांत जिले चमोली के माणा के पास भीषण हिमस्खलन में फंसे मजदूरों को निकालने का काम जारी है। श्वेत मरुस्थल में फंसे मजदूरों को सुरक्षित बचाने के लिए मौसम खुलते ही माणा में बचाव अभियान चल रहा है।

अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। उम्मीद की जा रही है कि बाकी फंसे मजदूरों को भी सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा। घटनास्थल से जो सूचनाएं मिल रही है, उनके मुताबिक, बाकी मजदूर एक कंटेनर में हैं, जो पूरी तरह से बर्फ से ढक चुका है।

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