डिजिटल डेस्क : Pakistan Train Hijack से सुर्खियों में आए बलूचिस्तान की पीड़ा को जानें…। बीते मंगलवार को हुई Pakistan Train Hijack की घटना से एक बार पर नए अंदाज में Pakistan का बलूचिस्तान सुर्खियों में है। दुनिया में तमाम अन्य खबरों के मुकाबले इस पर लोगों की निगाहें ज्यादा हैं।
Highlights
Pakistan Train Hijack की घटना में 30 पाकिस्तानी सैनिक मौत के घाट उतार दिए गए जबकि 23 बलोच लड़ाके भी मारे गए हैं एवं बंधक बनाए गए लोगों में से 104 लोग छुड़ा लिए गए हैं।
Pakistan Train Hijack की घटना से सुर्खियों में आए बलूचिस्तान के बारे में कहा जाता है कि भारत का इससे गहरा नाता है और Pakistan की आबादी के गुजर-बसर में इसी बलूचिस्तान का अहम योगदान है। यही कारण है कि Pakistan हर हाल में बलूचिस्तान पर अपना कब्जा चाहता रहा है जबकि बलूचिस्तान अपनी आजादी को वापस के लिए निरंतर संघर्षरत है।
इसी संघर्ष में बलूचिस्तान ने बहुतेरे नागरिकों को खोया है और आरोप Pakistan और उसकी सेना पर लगा कि उसने ही बलूचिस्तान की आजादी के लिए संघर्षरत लोगों को दुनिया से गुपचुप लापता कर दिया।
महज 25 दिन आजाद रहा बलूचिस्तान
साल 1947 में ब्रिटिश हुकूमत के समाप्त होने के बाद बलूचिस्तान एक आजाद रियासत हुआ करती थी। यहां की कुछ अहम सियासी समझौतों के तहत बलूचिस्तान प्रिंसली स्टेट्स में शामिल था जिन पर ब्रिटिश क्राउन का सीधा शासन नहीं था।
ऐसे प्रिंसली स्टेट अपने फैसले लेने के लिए आजाद हुुआ करती थीं। इन प्रिंसली स्टेट को यह अधिकार था कि वे भारत और पाकिस्तान दोनों में से किसी भी देश के साथ मर्ज हो सकते हैं या फिर खुद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित भी कर सकते हैं।
बलूचिस्तान के चार प्रमुख हिस्से थे – कलात, खारान, लॉस बुला और मकरान। हालांकि जब भारत के बंटवारे का वक्त आया तो उस समय कलात को छोड़कर बाकी तीनों ने पाकिस्तान को चुना लेकिन कलात पाकिस्तान के साथ जाने को तैयार नहीं हुआ था।
कलात के खान मीर अहमद खान आजादी की चाह रखते थे। तीनों रियासतों के जाने के बाद कलात पर पाकिस्तान के साथ जाने का दबाव बढ़ता जा रहा था। हालांकि कलात ने पाकिस्तान के साथ जाने से साफ इनकार कर दिया था।
कलात ने पाकिस्तान को जवाब देते हुए कहा कि – ‘अफगानिस्तान और ईरान की तरह हमारी संस्कृति भी पाकिस्तान से अलग है। सिर्फ मुसलमान होने से हम पाकिस्तानी नहीं हो जाते।’
कलात के रवैये से पाकिस्तान आगबबूला हो गया और मामला काफी बढ़ गया। फिर 28 मार्च 1948 के दिन जिन्ना ने पाकिस्तानी सेना को कलात पर चढ़ाई का आदेश दे दिया। कमांडिंग ऑफिसर मेजर जनरल अकबर खान की अगुवाई में 7 बलोच रेजिमेंट ने अगले ही दिन कलात पर धावा बोला।
कलात के खान को किडनैप करके कराची ले जाया गया जहां उनसे जबरदस्ती विलय पत्र पर दस्तखत करवा लिए गए। और इस तरह 25 दिन की आजादी के बाद कलात का पाकिस्तान में विलय करा लिया गया था।

पाकिस्तान का सबसे बड़ा इलाका है बलूचिस्तान
बलूचिस्तान का जबरिया पाकिस्तान में विलय फौज के बल पर करवाया गया इसलिए बलूचिस्तान के कुछ संगठन लगातार आजादी की मांग करते रहे हैं। गाहे-बगाहे ये चिंगारियां सुलगती ही रहती हैं और पाकिस्तान इसका दोष भारत पर मढ़ता है। क्षेत्रफल के हिसाब से बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा इलाका है।
पूरे मामले को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि पाकिस्तान का 44% इलाका बलूचिस्तान में ही है। हालांकि आबादी के नाम पर यहां पाक आबादी का महज 5% हिस्सा ही रहता है। बलूचिस्तान पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का 44% हिस्सा है, लेकिन उसकी जीडीपी में इसका योगदान मात्र 3% है।
पाक सेना का बलूचिस्तान में जुल्म इतना है कि बलूचिस्तान के लोगों को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के जेलों में डाल दिया जाता है। कई बलोच नेता संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से पाकिस्तान के अत्याचारों की जांच की मांग करते आए हैं। इतना ही नहीं, पाकिस्तानी सेना पर बलोच अभियान के लिए लड़ रहे लोगों को गायब करने और उनकी गुप्त चुप हत्या के कई आरोप लगे हैं।

मार्च 2007 में पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने वहां के सुप्रीम कोर्ट के सामने उन 148 बलोच लोगों की लिस्ट पेश की थी जो अचानक गायब हो गए थे और उनके बारे में उनके रिश्तेदारों को भी कुछ पता नहीं था।
अभी हाल ही में बलोच वॉइस एसोसिएशन ने संयुक्त राष्ट्र से बलूचिस्तान में लोगों के जबरन गायब होने के मामलों की गहन जांच करने और अपराधियों को उनके कामों के लिए जवाबदेह ठहराने की अपील की।
साल 2022 के ताजा आंकड़ों के अनुसार बलूचिस्तान से 787 लोग गायब हो चुके हैं। इनमें 101 महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। यहां के हालात इतने खराब हो चुके हैं कि इसे पाकिस्तान का अगला बांग्लादेश कहा जाने लगा है। हालांकि अब तो बलोच आर्मी ने बिल्कुल पाकिस्तानी सेना के खलिाफ बिगुल फूंक दिया है।

पाकिस्तान के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी है बलूचिस्तान
बलूचिस्तान की पाकिस्तान में अहमियत इसी से समझी जा सकती है कि पाकिस्तानी हुकूमत शुरू से ही बलूचिस्तान को अपने लिए सोने का अंडा देने की मुर्गी की तरह मानता रहा है। इसीलिए पाकिस्तान बलूचिस्तान पर हर हाल पर हुकूमत कायम करने की फिराक में लगा रहता है।
बलूचिस्तान की पाकिस्तान के लिए अहमियत क्यों है? इसे यूं समझें कि पाकिस्तान की आधी गैस की जरूरत बलूचिस्तान से पूरी होती है। लेकिन बलूचिस्तान के लोग खुद बुनियादी सुविधाओं से दूर हैं। बलूचिस्तान में तांबा, सोना और यूरेनियम का भंडार है. पाकिस्तान के तीन नौसैनिक अड्डे बलूचिस्तान में ही हैं।
इतना ही नहीं बलूचिस्तान की चगाई नाम का जगह में परमाणु परीक्षण कर पाकिस्तान परमाणु ताकत बना था। पाकिस्तान के इस इलाके में संसाधनों की कमी नहीं है। इस क्षेत्र से निकली गैस पाकिस्तान के घरों में तो उजागर करती है लेकिन बलूचिस्तान के लोगों को इसका कोई फायदा नहीं मिल रहा है।
पाकिस्तान इस इलाके को डंडे के बलबूते कंट्रोल करता आया है। यहां के आंदोलनकारियों की भी समय-समय पर पाकिस्तानी सैनिकों से भिड़ंत होती रहती है। बलोच आंदोलन को पाकिस्तानी सेना ने हमेशा ताकत से कुचलने की कोशिश की है।

साल 1950, 1970, 2006 और हाल के सालों में कई बार बलोच अलगाववादी आंदोलनों को पाकिस्तानी सेना ने कुचलने की कोशिश की थी। वहीं, नवाब अकबर बुग्ती की 2006 में हत्या ने विद्रोह को और भड़का दिया था।
इसी क्रम में बलूचिस्तान की भारत के उसे रिश्ते के मर्म को जानना-समझना भी जरूरी है जिसके चलते पाकिस्तान अंदर ही अंदर बलूचिस्तान के परिप्रेक्ष्य में भारत से जला-भुना रहता है। दरअसल, बलूचिस्तान का भारत से गहरा सांस्कृतिक संबंध है।
हिंगलाज माता मंदिर, जो शक्ति पीठों में से एक है, यहीं स्थित है। इसके अलावा, बलूचिस्तान ऐतिहासिक रूप से भारतीय सभ्यता का हिस्सा रहा है। बलूचिस्तान में बुद्ध धर्म के कई प्राचीन अवशेष भी मिले हैं। ऐतिहासिक रूप से, यह गांधार सभ्यता का हिस्सा था, जो भारत के 16 महाजनपदों में शामिल थी।
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) जैसे संगठन स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं और पाकिस्तानी सेना पर लगातार हमले कर रहे हैं। पाकिस्तान बार-बार भारत पर इन विद्रोहियों को समर्थन देने का आरोप लगाता है।