नई दिल्ली/रांची: चाइल्ड केयर लीव से वंचित किए जाने के मामले में झारखंड की एक महिला एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में झारखंड सरकार और झारखंड हाईकोर्ट को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह शामिल हैं, ने याचिकाकर्ता की अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।
महिला जज, जो एक सिंगल पैरेंट हैं, ने जून से दिसंबर तक चाइल्ड केयर अवकाश के लिए आवेदन दिया था। लेकिन बिना कोई उचित कारण बताए उनका अवकाश आवेदन खारिज कर दिया गया। याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि इस समय झारखंड हाईकोर्ट में ग्रीष्मावकाश चल रहा है, इस कारण उन्होंने सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
अदालत ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से यह भी पूछा कि उन्होंने पहले हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया। जवाब में बताया गया कि ग्रीष्मावकाश के चलते तत्काल सुनवाई संभव नहीं थी। इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए राज्य सरकार और उच्च न्यायालय को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है।
शीर्ष अदालत ने सभी पक्षों को जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए अगली सुनवाई अगले सप्ताह निर्धारित की है। यह मामला न्यायिक प्रणाली में कार्यरत महिला अधिकारियों के अधिकारों और संवेदनशीलताओं को लेकर एक महत्वपूर्ण विमर्श खड़ा कर रहा है।