
रांची: झारखंड में बहुचर्चित टेंडर कमीशन घोटाले में गिरफ्तार पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की जमानत याचिका पर शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई। न्यायालय ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब पूरे राज्य की निगाहें अदालत के इस बहुप्रतीक्षित निर्णय पर टिकी हैं।
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ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने आलमगीर आलम को 15 मई 2024 को गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने विभिन्न विभागों में टेंडर आवंटन के बदले कमीशन लिया था। ईडी द्वारा की गई जांच में यह मामला सामने आया था कि टेंडर से जुड़े लेनदेन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितता हुई है।
कैसे खुला घोटाले का राज?
इस घोटाले में ईडी ने पहली कार्रवाई 21 फरवरी 2023 को की थी, जब निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के रांची, जमशेदपुर, पटना और दिल्ली स्थित ठिकानों पर छापेमारी की गई थी। छापेमारी के बाद वीरेंद्र राम को गिरफ्तार किया गया और पूछताछ में कई और नाम सामने आए।
ईडी की दूसरी बड़ी कार्रवाई 6 और 7 मई 2024 को हुई थी। इस दौरान राज्य के कई इंजीनियरों, ठेकेदारों और पूर्व मंत्री आलमगीर आलम के करीबी माने जाने वाले लोगों के ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई।
इस छापेमारी में सबसे सनसनीखेज खुलासा उस वक्त हुआ जब पूर्व मंत्री के पीएस संजीव लाल और उनके नौकर जहांगीर आलम के यहां से कुल 32 करोड़ रुपए नकद जब्त किए गए। इतनी बड़ी रकम की बरामदगी के बाद ईडी की जांच का दायरा बढ़ा और अंततः आलमगीर आलम की गिरफ्तारी हुई।
अब क्या आगे?
पूर्व मंत्री की जमानत याचिका पर कोर्ट का फैसला आने तक उन्हें न्यायिक हिरासत में ही रहना होगा। ईडी की ओर से अदालत को बताया गया कि जांच अभी भी जारी है और आरोप गंभीर हैं, इसलिए उन्हें फिलहाल जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया है। उम्मीद की जा रही है कि आगामी सप्ताह में इस पर अंतिम फैसला सुनाया जा सकता है।