Gumla: चैनपुर प्रखंड की करीब 200 आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं ने अपनी लंबित मांगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सामूहिक पत्र लिखा है। पत्र के माध्यम से उन्होंने मानदेय में वृद्धि, सरकारीकरण और सेवा शर्तों में सुधार की मांग करते हुए अपनी दशकों पुरानी समस्याओं से उन्हें अवगत कराया।
आंगनबाड़ी सेविका संघ की अध्यक्ष ममता गुप्ता ने बताया कि सेविकाएं पिछले कई वर्षों से विभिन्न माध्यमों से अपनी आवाज सरकार तक पहुंचा रही हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि 2018 के बाद से सेविकाओं के मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है, जबकि महंगाई तेजी से बढ़ी है। वर्तमान में सेविकाओं को 10,500 रुपये का मासिक मानदेय मिलता है, जो उनके जीवनयापन के लिए अपर्याप्त है।
Gumla: सेविकाओं और सहायिकाओं की मुख्य मांग
- मानदेय में बढ़ोतरी: वर्तमान में सेविकाओं को ₹10,500 मिलते हैं, जो आज की महंगाई में जीवनयापन के लिए अपर्याप्त है।
- कार्य अवधि और जिम्मेदारियां: सरकार के कागजों में उनका काम सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक एक ही पाली का है, लेकिन व्यवहार में उन्हें 24 घंटे काम करना पड़ता है। इसके अलावा, चुनाव संबंधी और स्वास्थ्य संबंधी कार्यों से उन्हें मुक्त करने के आदेश के बावजूद, विभाग इन आदेशों का पालन नहीं करता।
- सरकारीकरण: सेविकाएं पिछले 50 वर्षों से सेवा दे रही हैं और सरकार से उन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की मांग कर रही हैं। वे चाहती हैं कि सेविका को तृतीय श्रेणी कर्मचारी और सहायिका को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी घोषित किया जाए।
- सेवानिवृत्ति की आयु और लाभ: उनकी सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष की जाए। साथ ही, सेवानिवृत्ति के समय सेविका को ₹10 लाख और सहायिका को ₹5 लाख का एकमुश्त भुगतान किया जाए।
- पदोन्नति और अन्य लाभ: सेविकाओं को पदोन्नति का लाभ नहीं मिलता है। वे चाहती हैं कि पदोन्नति के लिए आयु सीमा हटाकर वरीयता के आधार पर पदोन्नति की जाए। इसके अलावा, सरकारी कर्मचारियों की तरह उन्हें भी पीएफ और ग्रेच्युटी जैसे लाभ दिए जाएं।
ममता गुप्ता ने बताया कि दिसंबर 2023 में भी सेविकाओं ने धरना प्रदर्शन किया था, लेकिन प्रशासन से उन्हें कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला।
Gumla: राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी
आज के पत्र प्रेषण कार्यक्रम में प्रखंड की सभी सेविकाएं एकजुट रहीं और अपने हस्ताक्षरित पत्र पोस्ट ऑफिस के माध्यम से प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे। सभी का कहना था कि अगर इस बार भी उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेंगी।
सुंदरम केशरी की रिपोर्ट
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