Thursday, July 3, 2025

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27 साल बाद इंसाफ: झारखंड हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में उम्रकैद पाए दंपती को किया बरी

रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने 27 साल पुराने हत्या के एक मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए उम्रकैद की सजा काट रहे हमीद मोमिन और उसकी पत्नी सहनाज बीबी को बरी कर दिया है। यह फैसला न्याय की प्रक्रिया में हुई गंभीर चूक और साक्ष्यों में विरोधाभास को देखते हुए लिया गया।

वर्ष 1998 में हमीद मोमिन और सहनाज बीबी को उनकी सास मेहजिन बीबी की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। यह घटना 27 अक्टूबर 1995 की बताई जाती है।

अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में असफल
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अपील पर सुनवाई करते हुए पाया कि अभियोजन पक्ष आरोपों को न्यायालय में प्रमाणित करने में विफल रहा।

मृतका के बेटे नूर इस्लाम मोमिन ने आरोप लगाया था कि उसकी मां को उसके पिता और सौतेली मां ने मिलकर पीट-पीटकर मार डाला। उसका यह भी कहना था कि उसकी मां ने मरने से पहले खुद आरोपियों का नाम लिया था।

बयानों और साक्ष्यों में भारी विरोधाभास
अदालत ने पाया कि बेटे और मां के बयानों में आपसी मेल नहीं है।

  • बेटा कहता है कि हमला करिम मोमिन की बाड़ी में हुआ।

  • जबकि मां का बयान है कि घटना घर के सामने हुई।

  • एफआईआर में छाती और पेट पर मारने की बात है,

  • लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सिर की अंदरूनी चोट को मौत का कारण बताया गया है, और छाती या पेट पर कोई चोट नहीं पाई गई।

इसके अलावा, अदालत ने यह भी नोट किया कि घटना के बाद पुलिस को तुरंत सूचना नहीं दी गई, न ही किसी पंचायत या ग्रामसभा में इसकी शिकायत हुई।

इन तमाम विरोधाभासों और साक्ष्य की कमजोरी को देखते हुए हाईकोर्ट ने दंपती को बरी कर दिया।