Wednesday, July 16, 2025

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सीयूजे में उन्नत सर्वेक्षण एवं भू-स्थानिक तकनीकों पर राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ

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रांची. झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजे) के जियोइन्फॉर्मेटिक्स विभाग द्वारा आज “रेसिस्टिविटी मीटर, लाइडार, ड्रोन एवं जियोप्रोसेसिंग टूल्स के माध्यम से उन्नत सर्वेक्षण” विषय पर एक सप्ताह का राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया गया। यह कार्यक्रम इंडियन सोसाइटी ऑफ जियोमैटिक्स (आईएसजी) — रांची चैप्टर एवं विज्ञान भारती, झारखंड के सहयोग से संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य प्रतिभागियों को आधुनिक भू-स्थानिक तकनीकों की व्यावहारिक दक्षता प्रदान कर राष्ट्रीय विकास में तकनीकी योगदान हेतु तैयार करना है।

कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास ने कार्यक्रम की सफलता हेतु अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम युवाओं के लिए नवाचार, शोध और तकनीकी दक्षता को बढ़ावा देने में मील का पत्थर सिद्ध होगा। मुख्य अतिथि डॉ. डालचंद झारिया, पूर्व-प्रमुख, भूविज्ञान विभाग,एनआईटी रायपुर ने अपने उद्बोधन में फील्ड आधारित भू-स्थानिक प्रशिक्षण की अनिवार्यता पर बल देते हुए कहा कि पर्यावरणीय, भूवैज्ञानिक एवं विकासात्मक चुनौतियों के समाधान हेतु दक्ष तकनीकी मानव संसाधन का निर्माण आज की आवश्यकता है।

अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. मनोज कुमार, डीन, स्कूल ऑफ नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट, सीयूजे ने कहा कि आज कृषि, शहरी विकास, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन तथा आपदा प्रबंधन जैसे विविध क्षेत्रों में भू-स्थानिक उपकरणों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने विद्यार्थियों व पेशेवरों से इन तकनीकों को आत्मसात कर नवाचार व डेटा-आधारित नीति निर्माण को गति देने का आह्वान किया।

आईएसजी रांची चैप्टर के वरिष्ठ प्रतिनिधि प्रो. ए.सी. पांडेय ने इंडियन सोसाइटी ऑफ जियोमैटिक्स की गतिविधियों, उद्देश्यों एवं भू-स्थानिक विज्ञान के क्षेत्र में इसके बहुआयामी योगदान की जानकारी दी। विज्ञान भारती के आयोजन सचिव डॉ. चंद्रशेखर द्विवेदी ने विज्ञान जागरूकता, स्वदेशी नवाचार और तकनीकी जागरूकता को जन-जन तक पहुंचाने के लिए संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने भू-स्थानिक तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम में सीयूजे के साथ हुई भागीदारी को सराहनीय बताया।

कार्यक्रम संयोजक डॉ. बी.आर. परिदा ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा साझा करते हुए बताया कि इसमें कक्षा शिक्षण के साथ-साथ रेसिस्टिविटी मीटर, लाइडार एवं ड्रोन जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का फील्ड डेमो व जियोप्रोसेसिंग (पाइथन प्रोग्रामिंग) अभ्यास भी शामिल है। यह प्रतिभागियों के विश्लेषणात्मक एवं तकनीकी कौशल को सशक्त बनाएगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. चंद्रशेखर द्विवेदी ने किया तथा समापन अवसर पर डॉ. किरण जालेम ने सभी अतिथियों, संस्थाओं, प्रतिभागियों एवं आयोजकों का आभार व्यक्त किया।

इस कार्यक्रम में देशभर से कुल 59 प्रतिभागियों ने सहभागिता की, जिनमें एनआईटी रायपुर, एनआईटी राउरकेला, विद्यसागर विश्वविद्यालय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय सहित अनेक प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। साथ ही सीयूजे के भू-अंतरसूचना विभाग के समस्त प्राध्यापकों की सक्रिय सहभागिता भी रही। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 8-12 जुलाई 2025 तक चलेगा, जिसमें प्रतिभागियों को नवीनतम भू-स्थानिक सर्वेक्षण, डेटा विश्लेषण एवं प्रासंगिक तकनीकी अभ्यास का सजीव अनुभव प्राप्त करने का अवसर प्राप्त होगा।