रांची: झारखंड हाई कोर्ट में सहायक आचार्य नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर नार्मलाइजेशन फार्मूला के खिलाफ दाखिल याचिका पर गुरुवार को अहम सुनवाई हुई। जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने अंतरिम आदेश में निर्देश दिया कि पारा शिक्षकों के लिए 100 सीट और गैर पारा शिक्षकों के लिए 14 सीटें फिलहाल सुरक्षित रखी जाएं। अदालत ने इस मामले में झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) से विस्तृत जवाब मांगा है और अगली सुनवाई की तिथि 5 अगस्त 2025 तय की है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार और अपराजिता भारद्वाज ने अदालत के समक्ष पक्ष रखा। उन्होंने तर्क दिया कि सहायक आचार्य नियुक्ति विज्ञापन में राज्य सरकार की ओर से तय नियमावली का पालन नहीं किया गया।
प्रार्थियों का आरोप है कि सरकार द्वारा पारा शिक्षकों के लिए 50% आरक्षण तय किया गया था, लेकिन जेएसएससी ने नार्मलाइजेशन फार्मूला लागू कर सभी अभ्यर्थियों पर एक समान अंक निर्धारण का तरीका अपना लिया। इससे पारा शिक्षकों के लिए आरक्षित वर्ग के साथ अन्याय हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि 2500 सीटों पर बहाली होनी थी, तो पारा शिक्षकों की संख्या लगभग 1250 होनी चाहिए थी, जबकि वास्तविक चयन केवल 400 पारा शिक्षकों का ही किया गया है।
गैर पारा शिक्षकों की ओर से शुभम मिश्रा और कुमार पवन ने पक्ष रखा, जबकि जेएसएससी की ओर से संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह ने दलील दी कि विज्ञापन में पहले से ही नार्मलाइजेशन फार्मूला लागू होने की जानकारी दी गई थी, और प्रक्रिया उसी के अनुसार चली है।
अदालत ने स्पष्ट किया है कि यह मामला कोर्ट के अंतिम आदेश से प्रभावित होगा और नियुक्ति प्रक्रिया में अंतरिम तौर पर सीटों को सुरक्षित रखना आवश्यक है।