रांची:झारखंड की राजधानी रांची में दारोगा संध्या टोपनो हत्याकांड का मामला अब अदालत में निर्णायक दौर में पहुंच चुका है, लेकिन सत्र न्यायालय में गवाहों के मुकरने का सिलसिला इस केस को कमजोर बना रहा है। अब तक 15 गवाहों में से पांच अपने पूर्व बयान से पलट चुके हैं, जिनमें पीड़िता की गश्ती गाड़ी के चालक रसियन केरकेट्टा, साथी सिपाही, और स्वतंत्र गवाह भी शामिल हैं।
गुरुवार को अदालत में हुई सुनवाई के दौरान मामले के अनुसंधान पदाधिकारी कन्हैया सिंह ने गवाही दी। लेकिन चिंता की बात यह रही कि घटना के प्रत्यक्षदर्शी गवाह, जो पहले पुलिस को बयान दे चुके थे, अब अदालत में पहचान और घटना से इनकार कर रहे हैं।
यह मामला 19 जुलाई 2022 की रात का है, जब संध्या टोपनो अपने साथी पुलिसकर्मियों के साथ रात्रि गश्ती पर थीं। सूचना मिलने पर उन्होंने पशु तस्करी में प्रयुक्त एक पिकअप वैन को रोकने की कोशिश की, लेकिन वाहन चालक ने उन्हें जानबूझकर रौंद डाला, जिससे उनकी मौत हो गई।
हत्या के इस मामले में दारोगा के चालक रसियन केरकेट्टा के बयान पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी और कई आरोपितों की गिरफ्तारी हुई थी। इनमें पिकअप वैन के मालिक, चालक और अन्य सहयोगी शामिल थे। लेकिन अब हालात यह बन गए हैं कि मुख्य गवाह रसियन केरकेट्टा, सिपाही ब्रजेश बड़ाईक, शांति नगेशिया, अनिल भुइंया और उलीन उरांव जैसे महत्वपूर्ण गवाह अदालत में पलट चुके हैं।
इस स्थिति में अदालत से दोषियों को सजा दिलाना अब बेहद कठिन होता जा रहा है। यह मामला अब समाज और न्याय व्यवस्था दोनों के लिए सुनिश्चित सजा बनाम गवाहों की सुरक्षा जैसे प्रश्नों को जन्म दे रहा है।
घटना के बाद तत्कालीन डीजीपी नीरज सिन्हा ने एसआइटी गठित की थी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों एवं नेताओं ने स्पीडी ट्रायल और दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की बात कही थी।
अब जबकि मामले का सत्र परीक्षण चल रहा है और गवाह पलट रहे हैं, पीड़िता के परिवार और पूरे राज्य की न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसे की अग्निपरीक्षा है।