Tuesday, October 28, 2025
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टायर गोदाम में लगी भीषण आग, मौके पर पहुंची दमकल की कई गाड़ियां

पटना सिटी : पटना सिटी क्षेत्र के रामकृष्ण नगर थाना इलाके में टायर गोदाम में भीषण आग लगी है। इस अगलगी से लाखों का नुकसान हुआ है। मौके पर एक दर्जन से ज्यादा दमकल की गाड़ी आग बुझाने में लगी है। स्थानीय लोगों के अनुसार, छठ पूजा के मौके पर पटाखा की चिंगारी से आग लगी है। ट्रक सहित पूरा टायर गोदाम जलकर राख हुआ।पुलिस प्रशासन की तरफ से पटाखे फोड़ने पर लगा था प्रतिबंध, चिंगारी से लगी आग बताया जाता है कि छठ महापर्व के अवसर पर प्रशासन के द्वारा पटाखे छोड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया था। लेकिन पटाखे...

रातू तालाब में उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ छठ महापर्व संपन्न

रांची के रातू तालाब में उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व का समापन हुआ। हजारों श्रद्धालु शामिल हुए और व्रतियों ने सूर्य देवता से सुख-समृद्धि की कामना की।रांची: रांची के रातू तालाब में मंगलवार सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया।सूर्योदय के समय तालाब के जल में खड़े होकर व्रतियों ने सूर्य देव को अर्घ्य दिया और अपनी तथा अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। तालाब किनारे श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी थी। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में फल, प्रसाद...

अश्विनी चौबे ने कहा- ‘CM तो सपना है, तेजस्वी कालकोठरी का होगा मुख्य कैदी’

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के बीच नेताओं का एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता अश्विनी कुमार चौबे ने महागठबंधन द्वारा विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री और मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री घोषित किए जाने पर तीखा हमला किया है। उन्होंने सोशल मीडिया फेसबुक पर पोस्ट कर लिखा है कि महागठबंधन के लोग मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख रहे हैं। बिहार में कोई भी भ्रष्टाचारी, दुराचारी और अपराध से जुड़ा व्यक्ति मुख्यमंत्री नहीं बन सकता। हां, इतना जरूर कहा जा सकता है कि तेजस्वी चुनाव के बाद...

भगवान कृष्ण ने की थी गयाजी में इस शिवलिंग की स्थापना, मुगलों ने भी…

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गयाजी: सावन का पवित्र महीना चल रहा है और भक्त भगवान शंकर को जलार्पण करने के लिए दूर दूर से मंदिरों में पहुंच रहे हैं। सावन के महीने में पूरे महीना भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है और लोग कहते हैं कि इस सावन में भोले बाबा की पूजा अर्चना करने से सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है। सावन के महीने में लोग विभिन्न क्षेत्रों में प्रसिद्ध शिव मंदिरों में जा कर पूजा अर्चना करते हैं। इन्हीं प्रसिद्ध मंदिरों में इसे एक है गयाजी स्थित एक शिवलिंग।

कहा जाता है कि मुगल आक्रमणकारियों ने इस शिवलिंग को तोड़ने की काफी कोशिश की थी लेकिन वे सफल नहीं हो सके थे। ऐसा माना जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना खुद भगवान कृष्ण ने की थी और इसका वर्णन वायु पुराण में भी है। यह शिवलिंग है गयाजी के अक्षयवट में। उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर शिवलिंग की तरह बिहार के महाकालेश्वर शिवलिंग के रूप में यह स्थापित है। यहां शिवलिंग की बनावट में स्वयं महाकालेश्वर बने हुए हैं।

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कहा जाता है, कि ऐसा शिवलिंग देश में इक्के-दुक्के स्थान पर ही हो सकता है। गया जी के अक्षयवट में स्थित भगवान भोलेनाथ का यह अद्भुत शिवलिंग अत्यंत ही चमत्कारिक कहा जाता है। इस शिवलिंग को द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने पूजा करने के बाद खुद स्थापित किया था। यह इतना पौराणिक है, कि इसे वृद्ध परमपिता परमेश्वर के नाम से जाना जाता है। उज्जैन की तरह गयाजी में रहे महाकालेश्वर शिवलिंग के दर्शन पूजन के लिए बिहार से नहीं ही नहीं, बल्कि देश भर से लोग आते हैं। यहां आकर जिस कामना से पूजा की जाती है, उसकी प्राप्ति होती है।

महामृत्युंजय जाप, रुद्राभिषेक, कालसर्प दोष की शांति के लिए यहां सालों भर भक्तों का आना होता है। यहां पूजा से चमत्कारिक परिणाम सामने आते हैं। बिहार के गया जी में स्थापित वृद्ध परमपिता परमेश्वर जो कि बिहार के महाकालेश्वर शिवलिंग के रूप में जाने जाते हैं को लेकर कई ऐतिहासिक बातें हैं। कहा जाता है, कि यहां मुगल शासक आए थे। देश भर में मुगल शासक मंदिरों को क्षति पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे, तो उसी क्रम में इस भव्य मंदिर को भी क्षति पहुंचाने की कोशिश की गई। हालांकि, मुगल शासक इसमें पूरी तरह से नाकाम रहे।

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काफी कोशिश कर यहां से शिवलिंग को उखाड़ने का प्रयास किया, लेकिन महाकालेश्वर रूप का यह शिवलिंग मुगल शासको से नहीं उखड़ सका। थक कर मुगल शासक इसे छोड़कर चले गए। मुगल शासक यहां के चमत्कार देख इतने प्रभावित हुए कि मंदिर के भी किसी कोने में क्षति नहीं पहुंचाई। मुगल शासक भी इस चमत्कार को देखकर हैरान थे, क्योंकि शिवलिंग टस से मस नहीं हो रहा था और आखिरकार थक हारकर यहां से चले गए।

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गयाजी से आशीष कुमार की रिपोर्ट

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